
आखिर क्यों न मनमाना रुख अपनाएं अफसर
देहरादून। उत्तराखंड में अफसरों के बेलगाम होने की बातें आम हैं और ऐसा हो भी क्यों न। जब एक जूनियर अफसर की हरकत पर पर एक्शन की बजाय उसकी मान मनौव्वल में जुट जाएं तो अफसरों के हौंसले क्यों बुलंद न होंगे।
ताजा मामला आईएएस अफसर सौरभ गहरवार का बताया जा रहा है। सरकार ने इन्हें टिहरी की जगह रुद्रप्रयाग का जिलाधिकारी बना दिया। सरकार के इस आदेश से ये जनाब इतने गुस्से में आ गए कि अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी। आचरण नियमावली के तहत इस अफसर पर तत्काल एक्शन होना चाहिए था। लेकिन हुआ इसके एकदम विपरीत।
इस जूनियर अफसर को मनाने के लिए मुख्यमंत्री से सचिव विनय शंकर पांडेय और एक अन्य आईएएस को टिहरी भेजा गया। दोनों ने इस युवा अफसर की दो घंटे पर एक तरह से मान मनौव्वल की। बताया जा रहा है कि इस अफसर को समझाने के लिए एक काबीना मंत्री को भी लगाया गया था। इसके बाद अफसर ने सरकार के तबादला आदेश पर अमल करने की हामी भरी।
साफ दिख रहा है कि जिस अफसर के खिलाफ सख्त एक्शन होना चाहिए था। सारा सरकारी सिस्टम उस अफसर की मनौव्वल करता रहा। ऐसे में अफसरों के हौंसले तो बुलंद होंगे ही। यहां बता दें कि कई मंत्री यह रोना रोते रहते हैं कि अफसर उनकी बात सुन ही नहीं रहे हैं। ये मंत्रीगण अफसर के खिलाफ एक्शन तो करवा नहीं पाते हैं, बल्कि किसी तरह से उसे बदलवाने की जुगत में लगे रहते हैं।
यही वजह है कि मंत्रीगण सरकार से मांग कर रहे हैं कि अफसरों की एसीआई लिखने का अधिकार उन्हें दिया जाएगा। सरकार में दो नंबर की हैसियत वाले सतपाल महाराज ने तो इसकी लगातार मांग कर रहे हैं।