रिवर्स पलायन में कारगर हो रही डीजीपी अशोक की एक पहल
पुलिसकर्मियों को गृह जिले में दी तैनाती
इनके काम से घरवाले भी खुश और अफसर भी
कार्मियों के तमाम पैसे की भी हो रही है बचत
पहाड़ के कुछ बंजर खेत भी होने लगे हैं आबाद
देहरादून। पहाड़ से पलायन पर बातें तो बहुत होती हैं पर हकीकत में कुछ होता नहीं हैं। लेकिन आईपीएस अफसर ने इस दिशा में एक पहल की और 750 पुलिसकर्मियों को उनके गृह जनपद में ही तैनाती का आदेश किया। एक कर्मी की वायरल हो रही पोस्ट ये बता रही है कि इससे ड्यूटी की गुणवत्ता में तो सुधार हुआ ही है, पहाड़ की बंजर जमीन का सीना भी चीरा जा रहा है।
सामरिक नजरिए से उत्तराखंड के सीमांत जनपद बेहद संवेदनशील हैं। सुविधाओं को अभाव में इन जनपदों से पलायन हो रहा है। तमाम सरकारें इस पर चिंता तो जाहिर करती हैं पर कोई ठोस पहल नहीं होती है। सरकार ने एक पलायन आयोग का गठन भी कर रखा है। इस पर सरकारी खजाने से लाखों रुपये व्यय हो रहे हैं। पर इसका दफ्तर भी देहरादून में ही खोला गया है।
इन हालात में एक आईपीएस अफसर की एक पहल को खासा सकारात्मक कहा जा सकता है। आईपीएस अफसर और उत्तराखंड पुलिस के मुखिया अशोक कुमार ने तमाम नियमों को दरकिनार कर एक आदेश में कहा कि पुलिसकर्मियों को उनके गृह जनपद में ही तैनाती दी जाए। इसके बाद 750 से अधिक कर्मियों को उनके गृह जनपद में तैनाती दी गई।
इसका लाभ ये हुआ कि ये सरकारी दायित्व के साथ ही पारवारिक और सामाजिक दायित्व भी निभाने लगे। अन्य शहरों में मकान का किराया और अन्य तमाम खर्चे भी कम हो गए। पहाड़ में पुलिस का ज्यादा काम नहीं है। लिहाजा इन लोगों ने अपनी पुश्तैनी जमीन जो अब बंजर हो चुकी थी उस पर काम किया। अगर डीजीपी की एक फेसुबक पोस्ट को देखें कि किस तरह से एक मुख्य आरक्षी बता रहा है कि इस फैसले से उसने क्या हासिल किया।
अब सवाल सिर्फ इतना है कि क्या एसी में बैठकर अफसर और दून में बैठकर पलायन आयोग सीमांत जिलों से पलायन रोकने की इस पहल से कोई नसीहत लेगा। उन्होंने लिखा कि “उत्तराखण्ड के पहाड़ी जनपदो से पलायन की गंभीर समस्या को देखते हुए 750 से अधिक कार्मिको को पहाड़ी गृह जनपदो में नियुक्ति दी गई है। हमारा यह प्रयास रिवर्स पलायन की दिशा में छोटा परन्तु महत्वपूर्ण एंव प्रभावी कदम साबित हुआ है। गृह जनपद नियुक्ति पर मुख्य आरक्षी फायर सर्विस चालक सुनील जोशी ने साझा किया अपना अनुभव कि उन्हे गृह जनपद में नियुक्ति मिलने के बाद अपनी ड्यूटी के साथ ही उनके द्वारा गांव में अपना घर बनाया गया अपने बंजर पड़े खेतो को पुनः आबाद किया एंव रिवर्स पलायन का उत्तम उदाहरण पेश किया है”।