कांग्रेसः धड़ों को मान्यता, फिर भी असंतोष
हरदा, नवप्रभात, किशोर, धामी का नाराजगी बरकरार
हरदा को रास नहीं आई विरोधियों को तरजीह
घोषणापत्र समिति अध्यक्ष पद से नवप्रभात नाखुश
किशोर भी खास अहमियत न मिलने से खफा
रंजीत की ताजपोशी से धामी भी हैं नाराज
देहरादून। मिशन-2022 फतह की कवायद में कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड कांग्रेस के लगभग सभी धड़ों को मान्यता सी दी है। इसके बाद भी अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। मनचाही मुराद मिलने के बाद भी दिग्गज कांग्रेसी हरीश रावत नाराज बताए जा रहे हैं तो पूर्व मंत्री नवप्रभात, पूर्व विधायक किशोर उपाध्याय और विधायक हरीश धामी भी खासे असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। नव प्रभात ने तो अपनी नाराजगी का खुलकर इजहार भी कर दिया है।
उत्तराखंड कांग्रेस लंबे समय से धड़ों में बंटी दिख रही है। हरदा, प्रीतम, किशोर जैसे नेताओं के अपने धड़े हैं। एक-दूसरे पर कई बार सीधे हमले भी चुके हैं। तमाम अहम मौकों पर ये कांग्रेसी एक मंच पर दिखे भी नहीं। नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर खाई इतनी ज्यादा बढ़ गई कि आलाकमान कुछ तय ही नहीं कर पाया।
अब कांग्रेस आलाकमान ने नए प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष समेत अन्य कमेटियों का गठन अपने स्तर से ही कर दिया है। चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी हरदा को दी गई है। वे इस बारे में लंबे समय से कोशिश भी कर रहे थे। इसी गुट के माने जाने वाले गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। बताया जा रहा है कि हरदा अब भी संतुष्ट नहीं है। उनकी नाराजगी अपने धुर विरोधी रंजीत रावत को कार्यकारी अध्यक्ष और आर्य़ेंद्र शर्मा को एक कमेटी में शामिल करने को लेकर है। बताया जा रहा है कि रंजीत का नाम पहली सूची में नहीं था। बाद में प्रीतम के नाराजगी जाहिर करने पर जोड़ा गया।
पूर्व मंत्री नवप्रभात भी नाराज हैं। वे ब्राह्मण नेता के तौर पर अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन उन्हें एक बार फिर से चुनाव घोषणापत्र समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। नवप्रभात ने इस जिम्मेदारी को लेने से यह कहते हुए इंकार कर दिया है कि वे दो बार इस पद पर रह चुके हैं। पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय भी अध्यक्ष पद के दावेदार थे। लेकिन उन्हें ज्यादा तरजीह नहीं मिली है। हरदा के समर्थक माने जाने वाले विधायक हरीश धामी भी नाराज बताए जा रहे हैं। उनकी नाराजगी रंजीत की ताजपोशी से है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या उत्तराखंड कांग्रेस में नेताओं की अतिमहत्वाकांक्षा से उपजी कलह चुनाव से पहले खत्म हो पाएगी। इन हालात में ये नेता अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को कितना चार्ज कर पाएंगे
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