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काशीपुर ट्रंचिंग ग्राउंडः मोटी कमाई का खेल !

खनन से करोड़ों, फ्री में गड्ढा भराई और जमीन वापस

नगर निगम की सहमति पर ही मिली खनन की मंजूरी

खनन के बाद कूड़े से भरा जाएगा जमीन का गड्ढा

तीन साल बाद स्वामी को वापस मिल जाएगी जमीन

फिर उपजाऊ बनी बंजर जमीन पर लहलहाएगी फसलें

आप नेता दीपक बाली ने किया इस खेल का खुलासा

इस जमीन के बेचे जाने की भी चर्चा हो रही है तेज

निगम में आवेदन करने वाले के नाम पर नहीं जमीन

काशीपुर। ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए मुफ्त में जमीन देने के नाम पर कुछ लोगों ने बड़ा खेल किया है। पहले तो जमीन में भरी खनन सामिग्री से करोड़ों की कमाई की जाएगी। फिर चंद रुपये खर्च करके जमीन के गढ्डे को शहर से कूड़े से भरा जाएगा। इसके बाद बंजर से उपजाऊ हो चुकी जमीन पर कब्जा वापस लेकर फसलों से कमाई की जाएगी। खास बात यह भी है कि ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए खोदे जाने वाले गढ्डे में कूड़ा डालने से कितना प्रदूषण होगा, इसकी परवाह किए जिले से लेकर शासन तक के किसी अधिकारी ने नहीं की। अहम बात यह भी है कि इस जमीन की खरीद-फरोख्त होने की भी चर्चा तेज हो रही है।

विगत दिवस आप नेता दीपक बाली ने शहर से 13 किमी दूर बनाए जा रहे नगर निगम के ट्रंचिंग ग्राउंड को दी गई जमीन का मामला उठाया था। न्यूज वेट ने इसकी पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। मेयर ऊषा चौधरी ने आप के आरोप पर कहा था कि ऐसा कोई प्रस्ताव उनकी जानकारी में नहीं हैं। लेकिन न्यूज वेट के पास उपलब्ध दस्तावेज बता रहे हैं कि निगम के मुख्य नगर अधिकारी ने 24 अप्रैल-19 को डीएम को भेजे एक पत्र में कहा है कि ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए एक व्यक्ति ने जमीन देने का प्रस्ताव दिया है। इस व्यक्ति ने शहर से 13 किमी. दूर कूड़ा ले जाने में होने वाले डीजल का खर्च देने, कूड़ा डंपिग में स्थानीय लोगों की आपत्ति से खुद निपटने, जमीन के चारों ओर टीन लगवाने, भूमि खुदान की रायल्टी खुद जमा करने की बात की है। कूड़ा तीन साल के लिए डाला जाएगा।

एमएनए का यह पत्र बताता है कि उक्त जमीन महज तीन साल के लिए ही ट्रंचिंग ग्राउंड को मिलेगी। इसके बाद जमीन स्वामी की हो जाएगी। असल खेल इसके भी आगे है। निगम की जमीन लेने की सहमति के आधार पर ही साढ़े दस एकड़ जमीन से खनन की मंजूरी मिल गई। आप नेता के अनुसार इससे स्वामी को 50 करोड़ के आसपास कमाई होगी। फिर डीजल आदि पर थोड़ा सा पैसा खर्च करके जमीन का गढ्डा भी भरवा लिया जाएगा। इस तरह से बंजर जमीन उपजाऊ हो जाएगी। तीन साल बाद जमीन नगर निगम छोड़ देगा तो उस पर फसलें उगाईं जाएगी।

बताया जा रहा है कि जिस व्यक्ति के नाम से खनन की मंजूरी मिलने की बात हो रही है, उस व्यक्ति के अब वो जमीन है ही नहीं। चर्चा है कि इस जमीन की रजिस्ट्री किसी और के नाम हो चुकी है।

अब नहीं है निगम को जमीन की जरूरत

मेयर ऊषा चौधरी ने आज पत्रकार वार्ता में कहा कि नगर निगम को एक प्रस्ताव मिला था। उस वक्त निगम को जरूरत थी। लिहाजा कई प्रतिबंधों के साथ प्रस्ताव बोर्ड में मंजूर किया गया था। अब निगम के पास पर्याप्त संसाधन हैं। लिहाजा निगम को अब इस तरह की जमीन की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा उनके ऊपर लगाए गए तमाम आरोप बेबुनियाद हैं।

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