एक्सक्लुसिव

नहीं हटे पूर्व सीएम के कई विभागीय सलाहकार !

आलोक, दीप और रवींद्र पेटवाल की कुर्सी अब तक बरकरार

गोपन के आदेश पर बने सभी सलाहकार हटाए

कई अफसरों की मनमानी इस दौर में भी जारी

देहरादून। उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी का अजब हाल है। पूर्व सीएम को तीन सलाहकार आज भी कुर्सी पर कायम है। इन्हें संबधित विभागों ने नहीं हटाया है। अहम बात यह है कि शासन के गोपन विभाग से पूर्व सीएम की सेवा में तैनात सलाहकारों को हटाने का आदेश हो चुका है।

सरकारी सिस्टम कहता है कि किसी भी सीएम के सलाहकार सीएम के प्रसाद पर्यन्त (उनकी कृपा तक) या उनके सीएम रहते ही पद पर रह सकते हैं। लेकिन उत्तराखंड में तो उल्टी ही गंगा बह रही है। पूर्व के तमाम सलाहकारों को अफसरों ने शासनादेश से ही नियुक्ति दे दी। अफसरों ने अपने आदेश में यह नहीं लिखा कि उनकी नियुक्ति सीएम के प्रसाद पर्यन्त (उनकी कृपा तक) या उनके सीएम रहते ही पद पर रहने तक ही होगी। यही वजह रही कि गोपन को सीएम के हटने के बाद सभी को हटाने के आदेश अलग से जारी करने पड़े।

मामला यहीं तक नहीं है। कुछ विभागीय अफसरों ने पूर्व सीएम के सलाहकार अपने स्तर से ही तैनात किए। हो सकता है कि ये तत्कालीन सीएम की मर्जी से हुआ हो। लेकिन सीएम के हटने के बाद भी तीन विभागों ने उनके सलाहकार नहीं हटाए हैं। इनमें नियोजन विभाग के सलाहकार आलोक भट्ट, नागरिक उड्डयन विभाग में दीप चंद श्रीवास्तव और सूचना तकनीक में रवींद्र पेटवाल शामिल है। नया सीएम बनने के 15 दिन बाद भी ये तीनों सरकारी सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं और इन्हें हटाने का आदेश विभागीय स्तर पर नहीं किया गया है। इनमें से एक सलाहकार ऐसे भी है, जिन्होंने अपने लिए बकायदा पत्र लिखकर विभाग के इनोवा के नए मॉडल की कार देने का बात की थी। अहम बात यह भी है कि विभागीय अफसरों ने अपने विभाग में कारों का भरमार होने के बाद भी इनके लिए नई कार खरीदी।

ऐसे में सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या अफसशाही को ये पता नहीं कि निजाम बदल चुका है। या वो ये समझ रहे हैं कि नए मुखिया को भी पुराने मुखिया की तरह अपने शीशे में उतार लेगें। नए सीएम तीरथ को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और अपने अंदाज में काम कर रहे अफसरों पर नकेल कसना चाहिए।

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