उत्तराखंड

अहकर काशीपुरी की जन्म शताब्दी पर कायस्थ महासभा करेगी आयोजन

काशीपुर : भले ही अब राजनेताओं के नाम से जाना जाता हो लेकिन यहां भी ऐसी गुमनाम हस्तियां और हस्ताक्षर रहे हैं जिन्हें भुला दिया गया है। भगवतीप्रसाद भटनागर जिन्हें उर्दू हिंदी की अदबी दुनिया अहकर काशीपुरी के नाम से जानती है। 23 सितंबर 1923 को जन्मे भगवती प्रसाद भटनागर का निधन 7 अगस्त 1995 को हुआ था।

कभी काशीपुर में रहे वाचस्पति जी ने इस शायर,कवि व प्रख्यात इतिहासकार के बारे में बताया। भगवती प्रसाद भटनागर काशीपुर के कानूनगोयान मौहल्ले में रहते थे। आज भी उनके कुछ परिजन यहां रहते हैं। शहर की इस नामचीन हस्ती ने ही गोविषाण किले की खुदाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और काशीपुर को एक ऐतिहासिक पहचान दिलाई।

इस महान हस्ती की जन्म शताब्दी पर उन्हें स्मरण करना तो बनता है। शहर के सामाजिक व साहित्यकार संगठनों को इस गुमनाम हस्ती को लेकर कुछ कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।

भगवती प्रसाद भटनागर (अहक़र काशीपुरी)राधे हरि चीनी मिल काशीपुर की मुलाजमत करते हुए साहित्य की सेवा के साथ डाक टिकट संग्रह, फोटोग्राफी संग्रह, देश-विदेश की बड़ी घटनाओं की अख़बारी कतरनों के संग्रह, सिक्के संग्रह, घरेलू बाग़वानी के शौकीन रहे।

भटनागर का प्रमुख योगदान काशीपुर के द्रोणसागर टीले के उत्खनन और पुरातात्त्विक अध्ययन के भगीरथ प्रयत्न के लिए है। देश विदेश में इस पुरा संपदा की जानकारी पहुँचाने में उनका योगदान अप्रतिम है।उर्दू -हिन्दी ग़ज़ल में उनका एक ख़ास मुकाम है।

खेद है, उनका एक बेहतरीन फोटो तक सुलभ नहीं हैं। उनकी चुनी रचनाओं का संकलन छपता तो जन्मशताब्दी पर एक यादगार काम होता! वाचस्पति जी का कहना है कि उनकी याद में हम सब कोई आयोजन करें तो यह कृतज्ञता सामाजिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होगी।

अहकर काशीपुरी की एक धुंधली सी फोटो उपलब्ध हो पाई। ये उस समय का चित्र है जब रोडवेज स्टेशन के पास अशोक खुराना (अब कनाडा में) के संस्थान में तब के जाने-माने पत्रकार कमलनयन शर्मा के साथ वह नजर आ रहे हैं।

कायस्थ महासभा काशीपुर ने अहकर की याद में उनकी जन्म शताब्दी दिवस 23 सितंबर को एक समारोह आयोजित करने का फैसला किया है।

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