उत्तराखंड

स्थानीय उद्यमियों को प्राथमिकता देने की माँग — बाहरी एजेंसियों को ठेके देने पर उठे सवाल

देहरादून। 26/10/25

स्थानीय उद्यमियों को प्राथमिकता देने की माँग

प्रदेश में जहाँ-जहाँ भी बड़े कार्यक्रम एवं आयोजन होते हैं, वहाँ यह देखा जा रहा है कि कार्यों का दायित्व बाहरी व्यक्तियों एवं एजेंसियों को दिया जा रहा है, जबकि हमारे अपने प्रदेश के स्थानीय उद्यमियों और कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। यह स्थिति अत्यंत खेदजनक एवं चिंताजनक है।

प्रदेश सरकार ने अपनी Purchase Preference Policy में विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया है, परंतु सेवाओं (Services Sector) को अब तक इस नीति के दायरे में नहीं लाया गया है। यही कारण है कि स्थानीय सेवा प्रदाताओं को उनके ही प्रदेश में कार्य करने का उचित अवसर नहीं मिल पा रहा है।

हाल ही में AIFSM (All India Forest Sports Meet) के आयोजन हेतु वाहनों के संबंध में जो टेंडर जारी किया गया था, वह भी प्रदेश के स्थानीय व्यक्तियों की उपेक्षा करते हुए किसी बाहरी व्यक्ति को दे दिया गया है। यह निर्णय न केवल स्थानीय उद्यमियों के हितों के विपरीत है, बल्कि प्रदेश के राजस्व एवं रोजगार के अवसरों को भी प्रभावित करता है।

मैं सभी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूँगा कि हाल ही में हमारा प्रदेश आपदा की कठिन घड़ी से गुज़रा है। इस दौरान पर्यटन एवं परिवहन से जुड़े उद्यमियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा कामकाज पूरी तरह ठप रहा और लगातार भारी वर्षा के कारण आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ा।

अब जब प्रदेश में बड़े कार्यक्रमों के आयोजन हो रहे हैं, तो यह अपेक्षित है कि स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए। परंतु वास्तविकता यह है कि बाहरी एजेंसियों से गठजोड़ कर उन्हें कार्य दे दिया जाता है और स्थानीय लोगों की अनदेखी की जाती है।

मैं सरकार से यह पूछना चाहता हूँ कि जब प्रदेश का उद्यमी प्रदेश की GDP में महत्वपूर्ण हिस्सेदार है, तो उसे कार्य करने का अवसर क्यों नहीं दिया जाता? बाहरी कंपनियों को काम देने से लाभ उसी राज्य को जाता है – वहीं का राजस्व बढ़ता है और वहीं के लोगों को रोजगार मिलता है। –

जब अधिग्रहण की बात आती है, तो प्रदेश के विशिष्ट कार्यक्रमों में स्थानीय व्यक्तियों के वाहन अधिग्रहित किए जाते हैं तब यह प्रश्न उठता है कि जब कार्य देने की बात आती है, तो बाहरी व्यक्तियों के संसाधनों का उपयोग क्यों नहीं किया जाता? और जब आपदा के समय अचानक वाहनों की आवश्यकता पड़ती है, तब भी बाहरी कंपनियों से सेवाएँ क्यों नहीं ली जातीं?

अतः मेरी सरकार से विनम्र गुज़ारिश है कि इस पूरे विषय पर गंभीरता से विचार करे और उचित कार्यवाही करते हुए या तो वर्तमान टेंडर रद्द कर पुनः स्थानीय पात्र व्यक्तियों के लिए नया टेंडर जारी करे, या फिर स्थानीय सेवा प्रदाताओं को 1-1 दरों पर कार्य प्रदान किया जाए।

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