भाजपा का ‘बहाना’ और अपनों पर ‘निशाना’

अगर ‘धनुष’ उठा लिया तो सोच लो फिर क्या होगाः हरदा
कांग्रेस अध्यक्ष ने इशारों में किया है हमला
बोले, मेरे कार्य़क्रमों से क्यों असहज हैं दोस्त
देहरादून। कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत ने साफ कहा है कि उन्हें तीसरा नेत्र खोलने को मजबूर मत करें। हरदा ने यूं तो अपनी पाती में भाजपा का जिक्र किया है। लेकिन मजमून इस बात की तस्दीक कर रहा है कि उनकी ये नसीहत अपनी पार्टी के लिए ही है। यहां बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष समेत अन्य नेताओं की ओर से हरदा की सक्रियता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
देशभर में कांग्रेस इस समय बुरे दौर में है। उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। इसके बाद भी उत्तराखंड कांग्रेस में अंदरूनी खींचतान रोजाना सामने आ रही है। कांग्रेस अपने प्रदर्शन में हरीश रावत को नहीं बुला रही है तो हरदा अपने ही अंदाज में जुटे हैं। इन हालात में पहले प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने नसहीत दी तो अध्यक्ष प्रीतम ने यहां तक कह दिया कि अगर कोई अध्यक्ष नहीं रहेगा तो क्या अलग फ्रंट बनाकर काम करेगा।
माना जा रहा है कि हरदा ने इसे खासी गंभीरता से लिया है। आज सोमवार को उन्होंने एक लंबी पोस्ट लिखी है। इसमें नाम तो भाजपा लेकर कहा गया है कि कहीं फिर से धुनष उठा लिया तो सोच लो। अहम बात यह है कि इस पोस्ट में हरदा ने जिन बातों का जिक्र किया है वो सारी वही हैं, जिन पर प्रदेश कांग्रेस को आपत्ति है।
हरदा लिखते हैं वानप्रस्थ की ओर बढ़ते हुये व्यक्ति को ललकारोगे, कहीं फिर धनुष उठा लिया तो सोच लो। मेरे तो बिल्कुल विशुद्ध रूप से #उत्तराखंडी शाकाहारी स्वभाव के सामाजिक कार्यक्रम हैं, उसमें किसी के लिये असहज होने की कोई बात ही नहीं है। मुझे बहुत अजीब लगता है, जब मेरे द्वारा दी गई, आम, जामुन, ककड़ी-रायता, काफल, कचरी, नींबू, भुट्टा, लीची, आड़ू, चुआरू, मशरूम पार्टी से लोगों को परेशानी होती है। होली, दिवाली मिलन से लेकर हरेला, घी-संक्रांत, चैतोले का त्योहार भी उत्तराखंडियत के लक्ष्य को ही आगे बढ़ाते हैं और इन पार्टियों में मैंने सबको बुलाया है। फिर भी लोगों को जब इनमें राजनीति दिखाई देने लगी, तो मैंने इस प्रकार की पार्टियां देना बंद कर दिया है। इस बार भी मैंने, गुड़, आम, आड़ू की पार्टी वर्चुअल माध्यम से आयोजित की हैं। मैंने केवल दो कार्यक्रम राजनीतिक तौर पर किये, पहला-गन्ना-गंगा यात्रा और दूसरा-गैरसैंण यात्रा, ये कार्यक्रम भी मैंने चुनावी हार के तत्काल बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किये। मैं आजकल विभिन्न लाइव प्रोग्रामों, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, वेबिनार के माध्यम से उत्तराखंड के नौजवानों के रोजगार संवर्धन और राज्य की अर्थव्यवस्था को दिशा देने के उद्देश्य से आयोजित कर रहा हूं और मैं जो कुछ कर रहा हूं, उत्तराखंड के काम ही आयेगा। हां, मैं बहुत सारे नौजवानों को प्रेरित करने की कोशिश कर रहा हूं कि, वो विभिन्न विषयों पर लाइव प्रोग्राम, वेबिनार आदि आयोजित करें। मैं तो चाहता हूं कि और लोग भी इस क्षेत्र में आगे आयें। मुझे बेहद खुशी है कि, आज लाइव प्रोग्राम व वेबिनार्स आयोजित करने वालों की एक बाढ़ सी आ गई है। लोग अलग-अलग मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं। हां, #भाजपा के लिये यह जरूर परेशानी का सबब है कि, उन्हें एक जागृत उत्तराखंड के साथ-साथ जागृत कांग्रेस का भी सामना करना पड़ रहा है।
सियासत के माहिर हरदा आगे लिखते हैं कि यदि इस संदेश को भाजपा पढ़ रही है और बेचैन है, तब तो बात समझ में आती है और यदि केवल इसलिये बेचैन है कि, हरीश रावत, वो ऐसी बातें क्यों कर रहा है, जो सरकार के तौर पर उनको करनी चाहिये थी, फिर तो मुझे उत्तराखंड के लोगों से कहना पड़ेगा कि, इस भाजपा को समझो।
जाहिर है कि हरदा जो कार्यक्रम कर रहे हैं उनका प्रदेश कांग्रेस से कोई ताल्लुक नहीं है। प्रदेश कांग्रेस जो करती है, उसमें हरदा को बुलाया ही नहीं जाता है। इसी तरह की मानसिकता से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी परेशान हैं। 2017 में उन्हें सहसपुर विस क्षेत्र से चुनाव लड़ने भेज दिया गया था। आज उस क्षेत्र में कांग्रेस जो कार्यक्रम कर रही है, उसमें किशोर को बुलाया ही नहीं जाता है। इस पीड़ा को किशोर सार्वजनिक भी कर चुके हैं।