छह माह शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ में विराजेंगे बाबा केदार

छह माह शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ में विराजेंगे बाबा केदार
पारंपरिक विधि विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बंद हुए केदारनाथ धाम के कपाट
श्रीनिवास पोस्ती
सदस्य बीकेटीसी
भगवान भोलेनाथ के पवित्र धाम श्री केदारनाथ के कपाट आज शीतकाल हेतु वैदिक मंत्रोच्चारण और विधिवत अनुष्ठानों के साथ बंद कर दिए गए। हिमालय की बर्फीली चोटियों पर गूंजते “हर हर महादेव” के स्वर, श्रद्धालुओं की नम आँखें और वातावरण में व्याप्त भक्ति की ऊर्जा — यह सब मिलकर एक अलौकिक अनुभूति का सृजन कर रहे थे। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि देवभूमि उत्तराखंड की आत्मा का सजीव दर्शन था।
इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी, केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष हेमन्त द्विवेदी, केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल, मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन, जिलाधिकारी प्रतीक जैन तथा केदार सभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभी ने बाबा केदार के चरणों में नमन कर प्रदेश और देश की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ धाम से गहरा आत्मिक जुड़ाव सर्वविदित है। उनके दूरदर्शी विज़न ने पुनर्निर्माण और विकास के नए द्वार खोले, और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उस विज़न को धरातल पर साकार कर दिखाया।
आज केदारनाथ धाम श्रद्धा और आधुनिकता का जीवंत संगम बनकर खड़ा है। स्वच्छता, सुरक्षा, आवास, आपदा प्रबंधन और तीर्थयात्री सुविधाओं में अभूतपूर्व सुधार ने धाम को विश्वस्तरीय तीर्थस्थल के रूप में स्थापित किया है।
इस यात्रा सत्र में हेमन्त द्विवेदी अध्यक्ष केदारनाथ मंदिर समिति, की भूमिका अद्वितीय रही। उनके नेतृत्व में मंदिर परिसर में अनुशासन, स्वच्छता, प्रकाश और सौंदर्य व्यवस्था में निखार आया।
तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु अनेक नवाचार किए गए — प्रत्येक कार्य को उन्होंने समर्पण और श्रद्धा के साथ संपन्न किया। उनके निर्देशन में मंदिर समिति ने भक्ति, अनुशासन और सेवा का ऐसा संतुलन स्थापित किया, जिसने बाबा केदार की नगरी को नई गरिमा दी। हेमन्त द्विवेदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि सच्चा प्रबंधन वही है जो आस्था का सम्मान करता है और यात्रियों को सुविधा प्रदान करता है।
केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और व्यवसायियों को संगठित कर यात्रा में अनुशासन, सेवा और भक्ति का संतुलन बनाए रखा। उनके नेतृत्व में श्रद्धालुओं को सुविधा और आध्यात्मिक अनुभव समान रूप से मिला। उन्होंने युवाओं को प्रेरित कर धाम में स्वच्छता और सत्कार की परंपराओं को जीवंत रखा, जिससे “अतिथि देवो भवः” की भावना हर स्तर पर अनुभव की गई। इस यात्रा सत्र की सफलता में जिला प्रशासन की समर्पित भूमिका भी अनुकरणीय रही।
जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने अपनी दूरदृष्टि और संवेदनशीलता से यात्रा संचालन को व्यवस्थित बनाया। मार्गों की देखरेख, आपदा नियंत्रण, पर्यावरण संरक्षण और जनसुविधाओं में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा।
उपजिलाधिकारी अनिल कुमार शुक्ला ने क्षेत्र में प्रतिदिन उपस्थित रहकर व्यवस्थाओं को धरातल पर साकार किया, जबकि पुलिस अधीक्षक अक्षय कौंडेय के नेतृत्व में पुलिस बल ने अनुशासन, सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण में उत्कृष्टता दिखाई। इनके समर्पण से यात्रा के प्रत्येक क्षण में शांति और श्रद्धा का वातावरण बना रहा।
केदारनाथ यात्रा की सफलता में स्थानीय समाज का योगदान भी अविस्मरणीय रहा। तीर्थ पुरोहितों, होटल व्यवसायियों, व्यापारी संघों, घोड़ा-खच्चर पालकीवालों, भोजनालय संचालकों और स्वयंसेवी संस्थाओं ने अटूट समर्पण के साथ अपनी सेवाएँ दीं। उनकी मेहनत, भक्ति और सेवा भावना ने इस यात्रा को पूर्णता दी, और आज, जब हिमालय की प्रथम शीतल हवा बाबा केदार की नगरी को स्पर्श कर रही है, पवित्र डोली* अपने शीतकालीन प्रवास उखीमठ (ओंकारेश्वर मंदिर) के लिए प्रस्थान कर चुकी है।
भक्तों ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से “हर हर महादेव” के जयघोष के साथ बाबा को विदा किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोद की प्रेरणा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में आज देवभूमि का यह धाम पुनः अपनी प्राचीन दिव्यता और आधुनिक भव्यता के चरम पर है।