आर्थिक संकट की ओर सूबे की मंडिया
करोड़ों का नुकसान, साढ़े चार सौ कर्मियों की नौकरी खतरे में
किसान हित में किए जा रहे तमाम काम किए गए बंद
तमाम मंडियों में खाली बैठे हैं लाइसेंस धारक व्यापारी
मंडी के बाहर ही गैर लाइसेंसी खऱीद रहे किसानों का माल
केंद्र की अधिसूचना को राज्य में लागू करने का असर
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। केंद्र की किसानों की फसल मंडी के बाहर भी बगैर मंडी शुल्क दिए खरीदने के आदेश को उत्तराखंड में भी लागू कर दिया गया है। गैर लाइसेंसी व्यापारी किसानों से मंडी के बाहर ही माल खरीद रहे हैं। मंडी के अंदर बैठे व्यापारी खाली बैठे हैं। कोई आय न होने से मंडी परिषद अब तक साठ करोड़ से अधिका का नुकसान होने का अनुमान है। इससे विभिन्न मंडियों में काम कर रहे साढ़े चार सौ से अधिक आउटसोर्स कर्मियों की नौकरी खतरे में हैं। इतना ही नहीं मंडी परिषद ने किसान सहित के काम भी बंद कर दिए हैं।
लॉकडाउन की वजह से मंडियों में आवक पहले से ही बेहद कम थी। जून में केंद्र सरकार ने आदेश जारी किया कि व्यापारी मंडी के बाहर भी किसानों की उपज खरीद सकते हैं और इस पर मंडी शुल्क नहीं लिया जाएगा। एक पखवाड़े पहले उत्तराखंड सरकार ने भी इस आदेश को प्रवाभी कर दिया है। अब इसका प्रतिकूल असर सामने आ रहा है। किसानों की फसल मंडी के बाहर ही व्यापारी खरीद रहे हैं। इसके लिए उन्हें न लाइसेंस की जरूरत है और न ही मंडी शुल्क वसूलने की। नजीता यह है कि मंडी के अंदर काम करने वाले लाइसेंसी व्यापारी खाली बैठे हैं। इन व्यापारियों ने अपने यहां काम कर रहे पल्लेदारों व अन्य कर्मियों को बाहर करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही विभिन्न मंडियों में आउटसोर्स पर काम कर रहे परिषद के साढ़े चार सौ कर्मियों की नौकरी भी खतरे में आ गई है।
इस आदेश का असर मंडी परिषद की आय पर भी पड़ रहा है। मंडी परिषद की प्रबंध निदेशक निधि यादव का कहना है कि पहले लॉकडाउन और इस आदेश के बाद मंडी की आय बंद हो गई है। अब तक लगभग साठ करोड़ का क्षति हो चुकी है। पैसे की कमी की वजह से ग्रामीण अंचलों में मंडी की ओर से किसानों के हित में कराए जाने वाले काम भी ठप हो रहे है। इस समय मंडी कर्मियों का वेतन देने में भी समस्या सामने आ रही है।