राजनीति

चुनाव में महिलाएः दो सरस्वती, दो-दो बार जीतीं

यूपी से उत्तराखंड गठन तक चुनाव में महिलाओं पर रिपोर्ट

राजेश पांडेय

उत्तर प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव (1951-52)  में (वर्तमान उत्तराखंड) से एक मात्र महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थीं, हालांकि उनको विजय हासिल नहीं हुई। पर इसके बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में उत्तराखंड से महिलाओं की भागीदारी ही नहीं रही, बल्कि उन्होंने जीत भी हासिल की। इनमें देवप्रयाग से विनय लक्ष्मी, बागेश्वर सीट पर सरस्वती टम्टा, अल्मोड़ा सीट पर रमा पंत व सरस्वती तिवारी के नाम शामिल हैं।

यूपी विस के 1957 के चुनाव में देवप्रयाग सीट पर कांग्रेस के टिकट पर विनय लक्ष्मी निर्विरोध निर्वाचित हुईं। 1962 में विनय लक्ष्मी ने दूसरी बार कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 1969 में बागेश्वर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सरस्वती देवी ने 10,320 वोट हासिल करके भारतीय जनसंघ के मोहन चंद्र को हराया। 1974 में भी सरस्वती टम्टा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। सरस्वती टम्टा लगातार दो बार विजयी हुईं। 1985 में बागेश्वर सीट पर लोकदल के टिकट पर सरस्वती टम्टा तीसरे स्थान पर रहीं।

1974 में रमा कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित होकर पहली बार यूपी विधानसभा में पहुंचीं। लेकिन 1977 में अल्मोड़ा सीट पर जनता पार्टी के उम्मीदवार सोबन सिंह जीना ने 25,382 वोट हासिल करके कांग्रेस प्रत्याशी रमा पंत को हराया।

1985 में अल्मोड़ा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सरस्वती तिवारी ने 24,664 वोट हासिल करके निर्दलीय प्रत्याशी बलराम सिंह को पराजित किया। 1989 में उन्होंने पहले से अधिक 29,701 वोट प्राप्त करके निर्दलीय उम्मीदवार विपिन चंद्र त्रिपाठी को हराकर जीत दर्ज की। 1991 में अल्मोड़ा सीट पर ही सरस्वती तिवारी को भाजपा के पूरन चंद्र शर्मा ने हराया। 1967 में ही नैनीताल सीट पर बी.देवी ने चुनाव लड़ा पर पांचवें स्थान पर रहीं।

1969 में ही एकेश्वर सीट से श्यामा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, पर दूसरे स्थान पर रहीं। 1977 में हल्द्वानी सीट पर जनता पार्टी की प्रत्याशी इंदिरा हृदयेश को कांग्रेस प्रत्याशी देव बहादुर सिंह ने हराया इसी वर्ष देहरादून सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमारी आठवें स्थान पर रहीं।

1980 में अल्मोड़ा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार एलिजाबेथ व्हीलर पांचवें स्थान पर रहीं। इसी चुनाव में खटीमा सीट पर चंद्रा देवी निर्दलीय प्रत्याशी थीं, जो छठें स्थान पर रहीं। 1985 में पिथौरागढ़ सीट पर कांग्रेस की रत्ना दूसरे स्थान पर रहीं। इसी वर्ष उत्तरकाशी सीट पर दूरदर्शी पार्टी की सुशीला, देवप्रयाग में निर्दलीय उम्मीदवार कौशल्या रानी, लैंसडौन में जनता पार्टी प्रत्याशी सुमनलता भदोला, कर्णप्रयाग में दूरदर्शी पार्टी की दयारानी, देहरादून से दूरदर्शी पार्टी की राजबाला प्रत्याशी रहीं। परन्तु जीत हासिल नहीं कर पाए।

1989 के विधानसभा चुनाव में उत्तरकाशी से दूरदर्शी पार्टी प्रत्याशी सुशीला, टिहरी से भाजपा प्रत्याशी कमला, बदरी केदार सीट से कुंवरी देवी, प्रभा देवी, डीडीहाट से उमा पांडेय, रानीखेत से दूरदर्शी पार्टी उम्मीदवार मोहिनी देवी, नैनीताल से बीएसपी प्रत्याशी गुरजीत कौर, खटीमा से निर्दलीय किशोरी देवी, हल्द्वानी से निर्दलीय ममता, मसूरी से निर्दलीय चंचल बाला, देहरादून से निर्दलीय नीलम थापा ने चुनाव लड़ा, लेकिन इनमें से किसी को भी जीत हासिल नहीं हो सकी।

1991 में देहरादून से निर्दलीय पार्वती देवी झा, मसूरी से दूरदर्शी पार्टी प्रत्याशी रेनू अग्रवाल, उत्तरकाशी से दूरदर्शी पार्टी प्रत्याशी ओमवती, पौड़ी से जनता पार्टी उम्मीदवार उषा, बदरी-केदार से शबनम रिजवी, बागेश्वर से दूरदर्शी पार्टी प्रत्याशी शांति, हल्द्वानी से निर्दलीय ममता ने चुनाव लड़ा, परन्तु जीत दर्ज नहीं हो पाई।

देहरादून से दूरदर्शी पार्टी उम्मीदवार उमा देवी व निर्दलीय उर्मिला, हरिद्वार से निर्दलीय संतोष, सुशीला व एस.कली, उत्तरकाशी से कांग्रेस उम्मीदवार विनोद आर्य (बीनू), पौड़ी से जनता दल प्रत्याशी उषा रावत, बदरी केदार से निर्दलीय कुंवरी देवी, डीडीहाट से निर्दलीय मीना बोहरा, रानीखेत से दूरदर्शी पार्टी उम्मीदवार देवकी देवी व निर्दलीय तुलसी, हल्द्वानी से निर्दलीय सुमन व सरला देवी शामिल हैं, पर इनमें से कोई जीत दर्ज नहीं कर सका। 1996 के विधानसभा चुनाव में पिथौरागढ़ सीट पर एबीबीपी प्रत्याशी रीता, खटीमा से निर्दलीय मीना देवी, देहरादून से यूकेडी प्रत्याशी सुशीला बलूनी व एबीजेएस प्रत्याशी नीना हरनाल, मसूरी से निर्दलीय सावित्री शर्मा ने चुनाव लड़ा, पर विजय हासिल नहीं हो सकी। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश के समय में सिर्फ अल्मोड़ा, बागेश्वर व टिहरी गढ़वाल जिलों से ही महिलाएं चुनाव जीतीं

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