चहेतों की प्राइम पोस्टिंग में मशगूल मंत्रीगण
दागियों की भी मलाईदार पदों पर हो रही है तैनाती
एक मंत्री की आबकारी अधिकारी में खासी रुचि
दागी को अपने विभाग में दिया अहम ओहदा
दूसरे को भाया तीन साल जेल में रहा अफसर
तीसरे ने निलंबित को भेज दिया पुराने पद पर
देहरादून। पिछले कुछ समय से मंत्रियों की अफसरों की प्राइम पोस्टिंग में गहरी रुचि दिख रही है। कोई दागियों को अहम ओहदा दिलवा रहा है तो कोई दूसरे विभागों में भी अफसरों की पोस्टिंग के लिए खत लिखकर निर्देश दे रहा है। एक मंत्री ने तो पहले एक अफसर को आदेश न मानने पर निलंबित और कुछ समय बाद पुरानी जगह ही पोस्टिंग दे दी।
यूं तो मंत्रियों की चहेतों की प्राइम पोस्टिंग के लिए पहले भी बातें सामने आती रही हैं। लेकिन अब तो सारा काम सरेआम हो रहा है। इस काम में यह भी नहीं देखा जा रहा है कि कौन अफसर कितना बड़ा दागी है। पहले बात गन्ना मंत्री यतीश्वरानंद की। संतों की तरह कपड़े पहनने वाले मंत्री जी ने पहले तो गन्ना विभाग में करोड़ों की गड़बड़ी के आरोपी अफसर आरके सेठ को अहम ओहदा देने का आदेश कर दिया। तत्कालीन सचिव ने सेठ को तैनाती देने की बजाय निलंबित कर दिया। लेकिन मंत्री जी ठान चुके थे। लिहाजा पहले सचिव को बदला गया और फिर सेठ को अहम ओहदे पर तैनाती का आदेश खुद मंत्री ने कर दिया।
इन मंत्री जी का एक नया काम और सामने आया है। मंत्री ने हरिद्वार में जिला आबकारी अधिकारी के पद पर एक अफसर अशोक मिश्रा की तैनाती के लिए विभागीय सचिव को सीधा आदेश कर दिया। पहले तत्कालीन सचिव सचिन कुर्वे और बाद में आए शैलेश बगौली ने आदेश नहीं किया। फिर सचिव को बदला गया और नए आए सचिव सेमवाल ने अशोक मिश्रा को हरिद्वार का जिला आबकारी अधिकारी बना दिया। अब यह पूछने वाला कोई नहीं हैं कि एक संत का शराब कारोबार से क्या वास्ता।
आयुष विभाग में तो और भी बड़ा कारनाम हुआ है। तीन साल तक जेल में रहे और आज भी विजिलेंस जांच का सामना कर रहे चर्चित प्रोफेसर मृत्युंजय मिश्रा को आयुर्वेद विवि का कुलसचिव बना दिया गया। इतना ही नहीं, उनकी सवेतन बहाली कर दी गई। जाहिर है कि विभागीय सचिव चंद्रेश यादव ने विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत की मर्जी के बगैर को इतना विवादित आदेश किया नहीं होगा। इस आदेश से भी सरकार की फजीहत हो रही है। इससे पहले मंत्री जी ने एक डीएफओ को लैंसडौन से हटवाया था। यह अलग बात है कि इस अफसर ने एक लेटर बम फोड़ कर सरकार की पेशानी पर बल डाल दिए हैं।
शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत का कारनामा तो और भी गजब है। तीन माह पहले मंत्री ने रुड़की नगर निगम से सहायक नगर अधिकारी चंद्रकांत भट्ट को हटाकार मुख्यालय अटैच कर दिया। भट्ट ने ज्वाइन नहीं किया तो उन्हें निलंबित कर दिया गया। कुछ समय बाद मंत्री जी अचानक मेहरबान हो गए और भट्ट को फिर से रुड़की में ही तैनाती का आदेश कर दिया।
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