राजनीति

सिसोदिया की बजाय मीडिया से रूबरू हुए कौशिक

डिप्टी सीएम मनीष को लिखे पत्र में गिनाईं दिल्ली की खामियां

आप नेताओं को बताया टूरिस्ट पॉलिटिशियन

दिल्ली को ठगा अब उत्तराखंड में कर रहे कोशिश

बोले, बहस का समय मीडिया खुद करेगा तय

देहरादून। उत्तराखंड सरकार प्रवक्ता और काबीना मंत्री मदन कौशिक ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की विकास पर चर्चा की चुनौती को अपने अंदाज में निपटा दिया। उन्होंने मनीष की ओर से सुझाए गए समय और स्थान पर जाकर चर्चा की बजाय मीडिया से बात करके अपनी बात रखी। शासकीय प्रवक्ता ने आप नेताओं को अगंभीर बताते हुए कहा कि वे पहले दिल्ली को ठग चुके हैं। अब उत्तराखंड में यही कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सियासत में बहस तो होती ही रहती है। इस बारे में मीडिया ही समय तय करेगा।

डिप्टी सीएम मनीष और काबीना मंत्री मदन के बीच लंबे समय से मीडिया में ही एक दूसरे को बहस की चुनौती दी जा रही है। मनीष ने कौशिक को खत लिखकर चार जनवरी को देहरादून में दिल्ली सरकार बनाम उत्तराखंड सरकार के विकास मॉडल पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि कौशिश शायद ही जाए।

रविवार को काबीना मंत्री कौशिक अचानक ही मीडिया के सामने आए और आप नेताओं को जमकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने मनीष को संबोधित एक खत मीडिया को जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि आपके द्वारा शुभकामना पत्र में व्यंग्यात्मक भाषा का इस्तेमाल करना आपके राजनीतिक संस्कारों से जुड़ा हुआ मामला भी है। आपने कथित दिल्ली मॉडल को सामने रखते हुए उत्तराखंड मॉडल के साथ सार्वजनिक बहस का निमंत्रण दिया है। उत्तराखंड भाजपा और उत्तराखंड सरकार आपके इस निमंत्रण का स्वागत करती है।

कौशिक ने लिखा है कि इस बहस से पूर्व कुछ बिंदुओं पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। श्री अन्ना हजारे द्वारा खड़े किए गए भ्रष्टाचार विरोधी जिस आंदोलन से आम आदमी पार्टी का उदय हुआ आज आपकी पार्टी उन मूल्यों से बहुत दूर आ गई है। खुद अन्ना हजारे आपकी पार्टी और सरकार की गतिविधियों को खारिज कर चुके हैं। और इतना ही नहीं उस समय के सभी प्रमुख नेताओं को बाहर निकाल कर आप यह साबित कर चुके हैं कि आपकी पार्टी एक व्यक्ति पर आधारित है।

आम आदमी पार्टी की सरकार के सात साल में दिल्ली की जनता देख चुकी है कि आप सेलर ऑफ होप हैं। आप उम्मीदों और सपनों को बेचने वाले व्यापारी की तरह व्यवहार करते हैं। जहां तक उत्तराखंड की बात है तो यहां हर साल करोड़ों पर्यटक आते हैं। उत्तराखंड को आप जैसे टूरिस्ट पॉलीटिशियन का स्वागत करने में भी कोई हिचक नहीं है। और जो सार्वजनिक चर्चा अथवा बहस का प्रश्न है राजनीति एक गंभीर विषय है। यह किसी थिएटर का शो नहीं है।कभी आप दिल्ली छोड़कर यूपी चले जाते हैं। कभी आपके नेता पंजाब में मुख्यमंत्री बनने पहुंच जाते हैं और अब उन्हें उत्तराखंड आने का शौक लगा है। उत्तराखंड कि धरती हमेशा ही मेहमानों का स्वागत करती है लेकिन यह उम्मीद भी करती है कि मेहमान किसी उतावलेपन का शिकार ना हो। आपके व्यवहार और आपकी टिप्पणियों में एक गहरी हताशा और राजनीतिक जल्दबाजी साफ दिखाई देती है।

जैसा कि मैंने कहा कि उत्तराखंड की जनता राजनीतिक रूप से बहुत ही परिपक्व और अनुभवी है इसलिए वह किसी मौसमी व्यक्ति के बरगलाने में नहीं आएगी। जहां तक डिबेट का प्रश्न है उत्तराखंड भाजपा का कोई नेता अथवा मंत्री ही नहीं पार्टी का छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी आपके साथ मजबूती के साथ मुद्दा आधारित राजनीतिक बहस कर सकता है। आपने शिक्षा स्वास्थ्य बिजली पानी रोजगार समग्र विकास जैसे बिंदुओं को सामने रखकर दिल्ली मॉडल की चर्चा की है। यहां कुछ बातें आपके सामने रखना उचित होगा। आपकी सरकार ने दिल्ली में 400 नई लाइब्रेरी खोलने की घोषणा की थी इनमें अभी तक एक चौथाई भी नहीं खुल पाई हैं। दिल्ली में सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है जबकि आपकी सरकार बच्चों से उनके अभिभावकों और परिजनों के मोबाइल नंबर आदि ब्योरा भरवाने में व्यस्त है ताकि इन सूचनाओं का राजनीतिक उपयोग किया जा सके।

आपको बताना चाहिए कि बीते 7 साल में आप ने दिल्ली में कितने डिग्री कॉलेज कितनी नई यूनिवर्सिटी और कितने मेडिकल कॉलेज शुरू किए हैं आपके पास जो भी आंकड़े हों उन आंकड़ों की तुलना उत्तराखंड से कर लीजिएगा तो आपको सही उत्तर मिल जाएगा कि आपका शिक्षा का मॉडल कितना झूठा है। यह चिंता की बात है कि देश की राजधानी दिल्ली को आपकी सरकार की लापरवाही के कारण कोरोना के समय में बेहद बुरा दौर देखा है। जैसे ही दिल्ली में कोरोना का फैलाव आरंभ हुआ दिल्ली के मुख्यमंत्री ने खुद को आइसोलेट कर लिया। यह नेतृत्व का साफ.साफ पलायन था। आपने जिन मोहल्ला क्लीनिको का जमकर प्रचार किया उन पर अब ताले लग चुके हैं। फिर भी आप बढ़-चढ़कर दावे कर रहे हैं। आपको उत्तराखंड की चिंता करने से पहले दिल्ली के करोड़ों लोगों की जिंदगी की चिंता करनी चाहिए जो आप पर विश्वास करके धोखा खा चुके हैं। मुझे यह बात कहने में कोई संकोच नहीं है कि आपको सत्ता का बहुत गहरा लालच है। सत्ता के इसी लालच में आपने दिल्ली के लोगों को ठगा है। अब आप उत्तराखंड को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं।

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