क्या गंगा की ‘भंवर’ में है सहानुभूति ‘लहर’!
2022 का संकेत देगा सल्ट उप चुनाव का नतीजा
कांग्रेस ने झोंकी ताकत तो रणजीत खेमा है गायब
भाजपा ने अपने तमाम दिग्गजों को किया तैनात
देहरादून। अल्मोड़ा जिले की सल्ट विस सीट का उप चुनाव दिलचस्प दौर में हैं। कयास इस बात के लगाए जा रहे हैं कि क्या सहानुभूति की लहर इस उप चुनाव में गंगा की भंवर से निकलकर भाजपा के सिर जीत का सेहरा बंधवा पाएगी। वैसे इस उप चुनाव के नतीजा जहां 2022 के आम चुनाव का संकेत देगा वहीं, कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत का सियासी भविष्य भी तय करेगा।
स्व. सुरेंद्र सिंह जीना दुखद और असमय मौत की वजह से सल्ट विस का उप चुनाव हो रहा है। भाजपा ने इस सीट से कई दिग्गजों की दावेदारी को नजरअंदाज करके उनके भाई महेश जीना को मैदान में उतारा है। भाजपा की मंशा इस सीट पर स्व. जीना की मृत्यु से उपजी सहानुभूति को वोटों में तब्दील करने की है।
कांग्रेस ने गंगा पंचोली को अपना प्रत्याशी बनाया है। गंगा 2017 के चुनाव में तीन हजार से भी कम वोट से चुनाव हार गई थीं। कांग्रेस की ओर से इस सीट पर रणजीत रावत अपने पुत्र के लिए टिकट चाहते थे। लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने कांग्रेसी दिग्गज हरदा की पसंद को तरजीह दी।
इन हालात में चुनाव बेहद दिलचस्प दौर में है। इस चुनाव में सबसे अहम सवाल यह उठ रहा है कि क्या भाजपा को सहानुभूति लहर का कोई लाभ मिल पाएगा या फिर यह लहर गंगा की भंवर में ही फंस कर रह जाएगी। वैसे पिछले चुनावों की बात की जाए तो स्व. विधायक सुरेंद्र राकेश की मृत्यु के बाद कांग्रेस ने उनकी पत्नी को चुनाव में उतारकर इसका सहानुभूति लहर का लाभ किया था। भाजपा ने स्व. प्रकाश पंत और स्व. मुन्नीलाल शाह की पत्नी को चुनावी समर में उतार कर इसी सहानुभूति लहर के सहारे क्रमशः पिथौरागढ़ और थराली सीट पर जीत हासिल कर चुकी है।
लेकिन सल्ट सीट पर हालात कुछ अलग हैं। इस सीट ने भाजपा ने स्व. विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के भाई को प्रत्य़ाशी बनाया है। यही वजह है कि सियासी गलियारों में इस बात चर्चा तेज है कि क्या महेश जीना को सहानुभूति लहर का कोई लाभ मिल भी पाएगा। वैसे भी भाजपा ने केवल सहानुभूति लहर का लाभ देने के लिए ही कई अन्य दिग्गजों की दावेदारी को नजर अंदाज किया है।
उधर, कांग्रेस की गंगा पंचोली को भी कमतर नहीं आंका जा सकता। 2017 के चुनाव में प्रचंड मोदी लहर के बाद भी गंगा महज तीन हजार के मामूली अंतर से ही चुनाव हारीं थी। मामूली मतों से हार और एक महिला होने का लाभ भी उन्हें मिल सकता है। कहीं ऐसा न हो कि गंगा की भंवर में सहानुभूति लहर बुरी तरह से फंस न जाए। लेकिन रणजीत रावत खेमे का इस चुनाव से दूर रहना कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब भी है।
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आर्य़ेंद्र शर्मा कहते हैं कि पूरे क्षेत्र में गंगा पंचोली के पक्ष में हवा चल रही है। भाजपा जिस सहानुभूति लहर के सहारे चुनावी मैदान में उतरी है, वो कहीं महसूस भी नहीं हो रही है। कांग्रेस इस उप चुनाव को भारी बहुमत के साथ जीतेगी।
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