तस्वीर का सच

नेटवर्क आधारित अपराध है मानव तस्करी

एक्टिविस्ट ज्ञानेंद्र के आयोग अध्यक्षा के आदेश पर सवाल

बाल संरक्षण आयोग ने चमोली डीएम से मांगी रिपोर्ट

एनसीआरबी की रिपोर्ट के खुलासे से हरकत में सरकार

देहरादून। एनसीआरबी की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि बेटियों की तस्करी के मामले में हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड पहले स्थान पर है। इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद सरकार हरकत में आई है तो चमोली के एक मामले में बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा ने वहां के डीएम से गोपनीय रिपोर्ट मांगी है। आयोग के इस आदेश को अंतरराष्ट्रीय एक्टिविस्ट ने हास्यापद बताया और कहा कि उन्हें इस अपराध की प्रकृति की जानकारी ही नहीं है।

एक्टिविस्ट ज्ञानेंद्र कुमार

मानव-तस्करी के विरुद्ध लड़ रही प्रदेश की एकमात्र संस्था इम्पॉवरिंग पीपुल सोसायटी के मुख्य कार्यकारी एवं अंतरराष्ट्रीय एक्टीविस्ट ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने चमोली के जिलाधिकारी को चमोली जनपद की पूर्व में प्रदेश से बाहर ब्याही गई लड़कियों के विषय में गोपनीय आख्या देने का निर्देश दिया है। ज्ञानेंद्र का कहना है कि अध्यक्षा का यह निर्देश अत्यंत गैर जिम्मेदाराना और हास्यास्पद है। सुश्री नेगी बाल तस्करी के मूल स्वरूप को भी नहीं जानतीं। इस तरह की कोई भी जांच गोपनीय तरीके से जिलाधिकारी नहीं बना सकता। उसके लिये उसे क्षेत्र में स्थानीय लोगों की मदद लेनी पड़ेगी। चूंकि मानव तस्करी एक नेटवर्क आधारित अपराध है। ऐसे में तो इस बात को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता कि कौन इस तरह के नेटवर्क से जुड़ा है कौन नहीं। इस प्रकार की जांच का एकदम भिन्न तरीका होता है।

एक्टिविस्ट ज्ञानेंद्र ने कहा कि चूंकि इस अपराध में प्रदेश की अधिकांश बेटियां प्रदेश से बाहर गई हैं। ऐसे में अपराधी सबूत नष्ट करने के उद्देश्य से उनको नुकसान पहुंचा सकते हैं। श्रीमती नेगी ने सिर्फ प्रचार पाने के उद्देश्य से यह कार्य किया है। सवाल यह भी है कि यह किस प्रकार की गोपनीय आख्या मांगी जा रही है, जिसका प्रचार वो खुद समाचार पत्रों में कर रही हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button