राजनीति

‘अनुराग’ और ‘द्वेष’ से दूर रहने की शपथ लेते हैं माननीय

अब धड़ल्ले से स्वीकार रहे हैं ‘अनुराग’

नौकरी को खत लिखा है, आगे भी लिखूंगीः रेखा

बहु और बेटे को मैंने दी विस में नौकरीः कुंजवाल

तीन प्रमोशन देकर बनाया सिंघल को सचिवःप्रेम

विकास गुप्ता

देहरादून। विधानसभा में माननीयों का चहेतों को नौकरियां बांटने का मामला खासा चर्चा में हैं। अहम बात यह है कि पद ग्रहण करने से पहले ‘माननीय’ ईश्वर के नाम पर शपथ लेते हैं कि वे ‘अनुराग और द्वेष’ से दूर रहकर संविधान के अनुसार काम करेंगे। लेकिन अब ये माननीय ‘धड़ल्ले’ से स्वीकार कर रहे हैं कि उन्होंने ‘अनुराग’ की वजह से ही चहेते को नौकरी दी या फिर नौकरी देने की सिफारिश की।

पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल

गोविंद सिंह कुंजवाल 2012 से 2017 तक विधानसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) रहे। कार्यकाल समाप्त होने से ऐन पहले कुंजवाल ने विस में 152 लोगों को बगैर किसी प्रक्रिया के ही नौकरी दे दी। इसमें उनके बेटे और बहु के साथ ही अन्य चहेते भी शामिल हैं। ऐसा करते वक्त कुंजवाल उस शपथ को भूल गए जो उन्होंने ईश्वर के नाम पर ली थी। और कहा था कि वे किसी के साथ अनुराग या द्वेष से कोई काम नहीं करेंगे। अहम बात यह है कि अब वे सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर रहे हैं कि अनुराग की वजह से ही उन्होंने ये नौकरी दी।

पू्र्व स्पीकर और मौजूदा काबीना मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल

मौजूदा काबीना मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल 2017 से 2022 तक स्पीकर रहे हैं। उन्होंने भी कार्यकाल खत्म होने से चंद दिनों पहले 75 से अधिक लोगों को नियुक्तियां दे दीं। अपने सगे भांजे को भी नौकरी पर लगाया तो तमाम अन्य लोगों के चहते या ऱिश्तेदारों को भी नौकरियां दी। विस सचिव के मामले में उनका अनुराग इस कदर जागा कि मुकेश सिंघल को एक साल से भी कम समय में चार प्रमोशन देकर एक बेहद अहम ओहदे पर आसीन कर दिया। इसके बाद वे धड़ल्ले से कह रहे हैं कि हां, मैंने चार प्रमोशन दिए।

काबीना मंत्री रेखा आर्य

अपने पत्रों को लेकर चर्चा में रहने वाली रेखा आर्य का मामला तो और भी गजब है। वे उत्तरकाशी (पेपर लीक घोटाले के अहम किरदार हाकम का जिला) के चार लोगों को नौकरी देने का एक खत लिखती है। उनसे जब पूछा गया कि इन्हीं चार पर ऐसा अनुराग क्यों तो वे दबंगई से कहती हैं कि हां, खत लिखा है। और आगे भी लिखूंगी।

सवाल यह है कि क्या ये अनुराग माननीयों द्वारा ली गई शपथ का उल्लघंन नहीं है। लाखों बेरोजगारों में से चंद लोगों को नौकरियां देना या देने की सिफारिश करना क्या अनुराग नहीं दर्शाता है। अब इस अनुराग की वजह क्या है ये तो गर कोई जांच होती है, उसके बाद ही तय होगा। पर ये साफ दिख रहा है कि ये माननीय ईश्वर के नाम पर ली गई शपथ का उल्लघंन सा करता दिख रहे हैं।

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