पहले भी टिहरी सरकार नियुक्त करती थी रावल
राज्य के मुख्य सचिव का 1934 का एक पत्र हुआ वायरल
देवस्थानम् बोर्ड मसले में आ सकता है नया मोड़
देहरादून। एक तरफ देवस्थानम् बोर्ड का विरोध हो रहा है तो दूसरी ओर टिहरी गढ़वाल राज्य के मुख्य सचिव का 1934 का एक पत्र वायरल हो रहा है। इसमें लिखी भाषा से साफ है कि उस वक्त भी बदरीनाथ धाम के रावल की नियुक्ति राज्य सरकार ही करती है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि दशकों से सरकार ही ऐसा कर रही है तो अब देवस्थानम् बोर्ड का विरोध क्यों।
उक्त पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। टिहरी गढ़वाल राज्य के मुख्य सचिव, नरेंद्र नगर टिहरी की ओर से राज्य के पॉलिटिकल एजेंट को 23 मार्च-1934 को एक खत लिखा गया था। इस खत में कहा गया है कि रावल की नियुक्ति पर सवाल उठाना सही नहीं है। वर्तमान रावल शारीरिक समस्या के चलते अपना काम नहीं पा रहे थे और उन्होंने इसके लिए एक मैनेजर की नियुक्ति कर दी थी। मंदिर मैनेजमेंट स्कीम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इस खत के साथ रावल की नियुक्ति का आदेश भी संलग्न किया गया था।
इस पर यकीन किया जाए तो कहा जा सकता है कि आज से 90 साल पहले भी चारधामों पर सरकार का ही नियंत्रण था। यह खत ऐसे वक्त में वायरल हो रहा है, जबकि देवस्थानम् बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहित खासा विरोध कर रहे हैं। सरकार की ओर से इस मामले को निपटाने के लिए पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी भी बनाई जा चुकी है। भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बोर्ड की खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका डाली थी। वहां से खारिज होने के बाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा चुकी है। यह मामला अभी भी विचाराधीन है।
नोटः- खबर पत्र के आधार पर ही लिखी गई है। न्यूज वेट इस पत्र के सही होने की पुष्टि नहीं करता।