एक्सक्लुसिव

ट्रब्युनल में वर्षों से हैं रिक्त न्यायाधीशों के पद, आरटीआई से खुलासा

सीधे शासन को आवेदन देने पर ही होती रही हैं नियुक्तियां

देहरादून। सरकारी कर्मचारियों के सेवा विषयत मामलों का फैसला करने वाले प्रदेश के लोक सेवा अधिकरण (सर्विस ट्रब्युनल) में न्यायाधीशों के दो पद योग्य उम्मीदवारों के आवेदन के इंतजार में वर्षों से रिक्त पड़े हैं। उत्तराखंड में इन न्यायिक अधिकारियों के पदों पर बिना किसी आवेदन आमंत्रण के सीधे शासन को आवेदन प्रेषित करने पर ही नियुक्तियां होती रही है। इनमें से नियुक्त चार अधिकारी तो पूर्व में नियुक्ति की कार्यवाही करने वाले शासन के न्याय विभाग के प्रमुख रह चुके हैं। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को न्याय विभाग तथा लोक सेवा अधिकरण द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड शासन के न्याय विभाग तथा उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण के लोक सूचना अधिकारियों से पदों पर नियुक्त रहे अधिकारियों तथा लोक सेवा अधिकरण के न्यायाधीशों (अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्यों) के रिक्त पदों तथा उनकी नियुक्ति के बारे में सूचना मांगी थी।

नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण के सदस्य (न्यायिक) एवं सदस्य (प्रशा0) के एक-एक- पद रिक्त हैं। सदस्य (न्यायिक) का पद 06-08-2010 से तथा सदस्य (प्रशा0) का पद 01-08-2021 से रिक्त है।  वर्तमान में उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण में सदस्य (न्या0/प्रशा0) के पद पर नियुक्ति हेतु कोई कार्यवाही नहीं की गई हैं। क्योंकि किसी भी योग्य अभ्यर्थी द्वारा उक्त पद पर नियुक्ति हेतु आवेदन नहीं किया गया है।

नदीम को उपलब्ध सूचना से स्पष्ट है कि शासन के संबंधित विभाग (न्याय विभाग) को प्रेषित व्यक्तिगत आवेदनों पर ही लोक सेवा अधिकरण में न्यायधीशों के रूप में फैसला करने वाले अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्तियां की जाती रही है। इसमें से चार  उन अधिकारियों की नियुक्तियां की गई हैं, जो पूर्व में नियुक्ति की कार्यवाही करने वाले न्याय विभाग के ही मुखिया (प्रमुख सचिव/सचिव) रहे हैं। इसमें तीन तो अपनी नियुक्ति के ठीक पहले ही इसके पदों पर कार्यरत रहे हैं।

श्री नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार लोक सेवा अधिकरण के गठन से सूचना उपलब्ध कराने की तिथि तक 06 अध्यक्ष कार्यरत रहै है जिसमें जस्टिस आई.पी. वशिष्ठ, जस्टिस आर.डी. शुक्ला, बी.लाल, जस्टिस एस के जैन, जस्टिस जी.सी.एस. रावत तथा जस्टिस यू.सी.ध्यानी शामिल है। इसमें से बी.लाल अपने 15-04-2004 को उपाध्यक्ष का कार्यभार संभालने से ठीक पहले न्याय विभाग के 13-01-2003 से 15-04-2004 तक सचिव रहे है। इसी के आधार पर लाल 01-08-2006 से 07-05-2009 तक अध्यक्ष रहे। वर्तमान अध्यक्ष यूसी ध्यानी उच्च न्यायालय में न्यायधीश बनने से पूर्व 25-06-2004 से 01-05-2006  तक सचिव रह चुके हैं।

लोक सेवा अधिकरण में गठन से सूचना उपलब्ध कराने तक पांच उपाध्यक्ष (न्यायिक) नियुक्त किये गये हैं। इसमें बी. लाल, आरएम बाजपेई, बीके महेश्वरी, रामसिंह तथा राजेन्द्र सिंह शामिल है। इनमें से नियुक्ति से ठीक पहले बी.लाल 13-01-2003 से 14-04-2004 तक सचिव, रामसिंह 22-09-2010 से 02-05-2011 तथा 16-04-2015 से 31-05-2016 तक प्रमुख सचिव तथा राजेन्द्र सिंह 16-04-2021 से 15-04-22 तक प्रमुख सचिव, न्याय के पद पर कार्यरत रहे हैं।

उपाध्यक्ष (प्रशा0) के पद पर केवल तीन अधिकारी केआर भाटी, डीके कोटिया तथा राजीव गुप्ता की ही नियुक्ति की गयी है। सदस्य (न्यायिक) के पद पर 4 अधिकारियों बीके विश्नोई, एसके रतूड़ी, आरएम बाजपेई तथा वीके महेश्वरी की नियुक्ति हुई है। अगस्त 2010 में वी.के0 महेश्वरी के कार्यकाल के बाद यह पद रिक्त है। सदस्य (प्रशा0) के पद पर 6 अधिकारियों चन्द्र सिंह. बीसी चंदोला एमसी जोशी, एलएम पंत, यूडी चौबे तथा एएस नयाल की नियुक्ति हुई है।  जुलाई 21 में नयाल के कार्यकाल के बाद यह पद रिक्त है। नदीम ने बताया कि अधिनियम की धारा 3 में सदस्य (प्रशा0) पद हेतु मण्डल के कमिश्नर या भारत सरकार के ज्वाइंट सैक्रेटरी का पद धारण कर चुके तथा सदस्य (न्या.) हेतु जिला जज या समकक्ष पद धारण कर चुके व्यक्तियों की ही नियुक्ति का प्रावधान है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button