केदारधामःपंजीकरण के मुकाबले वास्तविक श्रद्धालु खासे कम
रजिस्ट्रेशन आंकड़ों से अपनी पीठ थपथपा रहा पर्यटन बोर्ड

31 मई तक के लिए 6,84,359 लोगों ने कराया पंजीकरण
23 मई तक महज 4,52,084 भक्तों ने किए बाबा के दर्शन
औसतन रोजाना 12 हजार श्रद्धालु पहुंच रहे केदारनाथ धाम
यात्रा सीजन पर ही निर्भर व्यापारियों की पेशानी पर बल
देहरादून। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीए) चारधाम यात्रा के लिए हो रहे पंजीकरण के आंकड़े जारी करके अपनी पीठ थपथपा रही है कि यात्रा बेहद सफल हो रही है। इसी आधार पर बार-बार पंजीकरण बंद भी किया जा रहा है। लेकिन वास्तवकिता इसके विपरीत है। लाखों लोग पंजीकरण कराने के बाद भी धामों की ओर रुख नहीं कर रहे हैं। केदारनाथ धाम के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। नतीजा है कि यात्रा सीजन में सालभर की आजीविका पर निर्भर रहने वाले व्यापारियों की पेशानी पर बल पड़ रहे हैं।
चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को यूटीडीए के पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। लोग इस पोर्टल पर जमकर पंजीकरण करा रहे हैं। पंजीकरण ज्यादा होने पर यूटीडीए कई बार नए पंजीकरण पर रोक लगा देता है। यूटीडीए को इस बात की परवाह नहीं है कि वास्तव में कितने लोग वास्तव में यात्रा पर आ रहे हैं।
इस हकीकत को केदारनाथ धाम के आंकड़ों से आसानी से समझा जा सकता है। 31 मई तक के लिए यूटीडीए के पोर्टल पर इस धाम की यात्रा पर आने के लिए 6,84,359 लोगों ने पंजीकरण कराया है। 23 मई तक महज 4,52,084 श्रद्धालुओं ने ही धाम आकर बाबा केदारनाथ के दर्शन किए हैं। रोजाना का आंकड़ा देखा जाए तो औसतन 11 से 12 हजार श्रद्धालु ही धाम में आ रहे हैं। इस लिहाज से 31 मई तक लगभग एक लाख श्रद्धालु और आ सकते हैं।
यात्रा में वास्तविक श्रद्धालुओं की संख्या पंजीकरण के मुकाबले खासी कम होने से व्यापारियों की पेशानी पर बल हैं। यात्रा मार्ग और धाम में छोटी-छोटी दुकानें खोलकर व्यापार करने वाले, होटल व्यवसायी, कंडी वाले, खच्चर वाले अपनी सालभर की आजीविका के लिए यात्रा पर ही निर्भर होते हैं। जाहिर है कि अगर श्रद्धालुओं की संख्या कम होगी तो उनकी आय पर भी इसका प्रतिकूल असर होगा।