एक्सक्लुसिव

कोरोना संकटः टेस्टिंग में उत्तराखंड ‘फिसड्डी’

पड़ोसी हिमाचल, जे एंड के और छोटा सा राज्य त्रिपुरा बहुत आगे

प्रवासियों के लौटने पर भी नहीं चेत रहा महकमा

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। सूबे की अफसरशाही कोरोना को लेकर भले ही अपनी पीठ खुद ही थपथपा ले। लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना टेस्टिंग के मामले में उत्तराखंड बहुत पीछे हैं। पडोसी राज्य हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के साथ ही त्रिपुरा जैसा छोटा सा राज्य टेस्टिंग पर खासा जो दे रहा है। उत्तराखंड के ये हालात उस वक्त है.जबकि हजारों की संख्या में प्रवासी अपने मूल निवास लौट रहे हैं।

विगत दिवस न्यूज नेट ने बीते नौ सप्ताह में राज्य के नौ पर्वतीय राज्यों में कोरोना टेस्टिंग के हालत का खुलासा किया था। अब बात करते हैं पूरे राज्य की। 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड की आबादी एक करोड़ है। इसमें से बीते नौ सप्ताह (17 मई तक) में उत्तराखंड में महज 13,212 लोगों की टेस्टिंग की गई है। इस समय हालात ये हैं कि रोजाना हजारों की संख्या में प्रवासी अपने मूल निवास उत्तराखंड लौट रहे हैं।

उत्तराखंड और अन्य राज्यों में हो रही कोरोना टेस्टिंग की तुलना की है समाजसेवी अनूप नौटियाल ने। नौटियाल ने अपने ट्विट में पड़ोसी राज्यों से उत्तराखंड की तुलना की। इसके अनुसार हिमाचल की आबादी महज 69 लाख है। वहां का स्वास्थ्य विभाग 17 मई तक 17,417 लोगों की टेस्टिंग कर चुका है। जम्मू-कश्मीर की आबादी 1.22 करोड़ है और वहां 17 मई तक 80,934 लोगों का सैंपल टेस्ट किया जा चुका है। इस मामले में एक छोटे से राज्य त्रिपुरा ने बेहतरीन काम किया है। इस राज्य की आबादी महज 37 लाख है और इस राज्य का स्वास्थ्य महकमा 13,750 लोगों की टेस्टिंग कर चुका है। यानि उत्तराखंड की एक तिहाई आबादी वाला राज्य यहां से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग कर चुका है।

अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि उत्तराखंड का स्वास्थ्य महकमा इतना सुस्त क्यों हैं। इस समय तो हजारों की संख्या में प्रवासी लौट रहे हैं। इनमें से अधिकांश उन स्थानों से आ रहे हैं जहां कोरोना अपना कहर दिखा रहा है। इसके बाद भी टेस्टिंग पर महकमे का फोकस न होना तमाम सवालात खड़े कर रहा है।

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