उत्तराखंड-नौकरशाही में अजब हाल, वरिष्ठ अधिकारी को घर बैठाए सेवानिवृत्त कराने की कोशिश ! स्वयं सेवानिवृत्त अधिकारी की ही कारस्तानी ?

उत्तराखंड-नौकरशाही में अजब हाल, वरिष्ठ अधिकारी को घर बैठाए सेवानिवृत्त कराने की कोशिश ! स्वयं सेवानिवृत्त अधिकारी की ही कारस्तानी ?
देहरादून । उत्तराखंड में प्रशासनिक अधिकारियों मशीनरी के बेलगाम होने की अक्सर होने वाली चर्चाओं के साथ अधिकारियों की तैनाती में अक्सर अनेकों कमियां-वरिष्ठता विवाद, वरिष्ठता की अनदेखी भी देखने को मिलती हैं। यहां वरिष्ठ अधिकारियों के कामकाज में बदलाव और पदोन्नति की प्रक्रिया में देरी और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को जरूरत से अधिक बड़ी जिम्मेदारियां देने जैसी स्थितियां आम हैं, लेकिन अब ऐसे प्रकरण भी सामने आये हैं जिनमें कुछ अधिकारियों को सरकार उनके कद के योग्य पद देना और उनकी योग्यता व शक्ति-सामर्थ्य का उपयोग करना तो दूर उन्हें कोई भी जिम्मेदारी नहीं दे रही और उन्हें घर बैठे वेतन दे रही है। स्थिति यहां तक है कि इनमें से कुछ अधिकारी को सेवानिवृत्ति के कगार पर हैं और ऐसी स्थिति में उनके समक्ष अपने पेंशन की प्रक्रिया को पूरा करने की भी समस्या आ खड़ी हुई है।
4 माह से कोई जिम्मेदारी नहीं, घर बैठे वेतन मिल रहा
बात 2007 बैच के 7600-8700 स्तर के उत्तराखंड के वरिष्ठतम पीसीएस अधिकारी श्रीष कुमार की करें तो मार्च 2018 से वह राजस्व पुलिस एवं भूमि सर्वेक्षण प्रशिक्षण संस्थान अल्मोड़ा के कार्यकारी निदेशक रहने के बाद अक्टूबर 2024 में प्रशिक्षुओं के 90 प्रतिशत सकारात्मक फीडबैक के बावजूद हटा दिये गये और उनकी जगह नियमावली के विरुद्ध 2018 में यानी 6 वर्ष पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके 6600 ग्रेड पे के अधिकारी को संस्थान का कार्यकारी निदेशक बना दिया गया है और श्रीष कुमार के पास से पिछले 4 माह से कोई जिम्मेदारी नहीं है और उन्हें घर बैठे वेतन मिल रहा है। यह स्थिति इसलिये भी गंभीर है कि कुमार इसी वर्ष जून माह में यानी 4 माह बाद सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं और उनके समक्ष अपने पेंशन के प्रपत्र तैयार करने का भी संकट है। गौरतलब है कि कुमार को शीघ्र ही 8900 व 10 हजार ग्रेड पे पर नोशनल पदोन्नति देने की भी चर्चा है और उन्हें उत्तराखंड के वरिष्ठतम पीसीएस अधिकारी होने के नाते किसी विभाग या संस्थान का प्रमुख या अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक बनाकर उनकी क्षमताओं का सरकार व जनहित में उपयोग किया जाना चाहिये था।
कुछ इसी तरह की स्थितियां अन्य अधिकारियों के साथ भी खड़ी की गयी हैं। उदाहरण के लिये 2005 बैच के एक अन्य वरिष्ठतम पीसीएस अधिकारी अपनी नयी तैनाती से असंतुष्ट होने के कारण दीर्घकालीन अवकाश पर चल रहे हैं।
वरिष्ठतम प्रशासनिक अधिकारी की आँखों में खटक गए
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार राज्य के एक स्वयं पूर्व में सेवानिवृत्त हो चुके और सेवा विस्तार पर चल रहे वरिष्ठतम प्रशासनिक अधिकारी इन अधिकारियों से नाराज है, और उसके इशारे पर ही सेवानिवृत्ति की कगार पर आये इन अधिकारियों के लिये समस्या खड़ी की जा रही है। यह भी संभावना जतायी जा रही है कि इन स्थितियों में प्रभाविक अधिकारी अब परेशान होकर न्यायालय की शरण में चले जाएं।