काशीपुर मेयर दीपक ने राजनीति को बनाया कामनीति

काशीपुर मेयर दीपक ने राजनीति को बनाया कामनीति
काशीपुर।
उत्तराखंड की औद्योगिक और धार्मिक पहचान रखने वाली नगरी काशीपुर की राजनीति इन दिनों एक नए मोड़ पर है। नगर निगम चुनावों में जीत दर्ज कर मेयर बने भाजपा नेता दीपक बाली ने जिस “कामनीति” का संकल्प लिया था, वह अब जमीन पर दिखने लगा है।
शपथ ग्रहण के समय उन्होंने साफ कहा था कि “मेरी राजनीति का असली मकसद काम है, न कि सत्ता का खेल।” सात महीने का उनका कार्यकाल इस वादे की गवाही देता है।
सबसे ताज़ा और बड़ा कदम है—रजिस्ट्रियों और दाखिल-खारिज की प्रक्रिया को दोबारा शुरू करना। अब यह कार्य 0% शुल्क पर संभव होगा, केवल ₹1000 फाइल चार्ज और एक एफिडेविट की शर्त के साथ। यह फैसला सीधे आम जनता को राहत देने वाला साबित हुआ है।
बदलती काशीपुर की तस्वीर
सिर्फ यही नहीं, शहर के 40 वार्डों में नई सड़कें, नालियों का निर्माण, जलभराव की समस्या का समाधान और सफाई व्यवस्था में सुधार जैसे कामों ने काशीपुर को एक नई दिशा दी है। नतीजा—वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार। लोगों का मूड साफ झलक रहा है, वे बाली की कार्यशैली से संतुष्ट और प्रभावित हैं।
राजनीति से काम की ओर
बाली के कामों ने उन्हें जनता की नज़रों में भरोसे का पर्याय बना दिया है। यही भरोसा अब राजनीतिक ताकत में बदल रहा है। भाजपा की आंतरिक राजनीति में भी उनकी राय को महत्व दिया जाने लगा है। वरिष्ठ नेताओं से उनकी नजदीकी और संगठन में उनकी सक्रिय भूमिका इस बात का संकेत है कि बाली का कद तेजी से बढ़ रहा है।
चीमा–बाली की जोड़ी
काशीपुर विधायक त्रिलोक सिंह चीमा और मेयर दीपक बाली की जोड़ी ने विकास की रफ्तार को और तेज कर दिया है। दोनों नेताओं की तालमेल भरी कार्यशैली ने विपक्ष को पूरी तरह बैकफुट पर धकेल दिया है। विरोधियों के पास अब उन्हें घेरने के लिए कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा है।
बदलता समीकरण, बढ़ता कद
यह पहला मौका है जब काशीपुर की नगर निगम की कमान सीधे जनता की समस्याओं से जुड़ी दिख रही है। यह बदलाव न केवल शहर की सोच बदल रहा है, बल्कि आने वाले राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर रहा है। अगर यही रफ्तार कायम रही तो यह कहना गलत नहीं होगा कि दीपक बाली का कद सिर्फ काशीपुर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जल्द ही उत्तराखंड की राजनीति में उन्हें निर्णायक नेताओं की पंक्ति में गिना जाएगा।