कबीर प्रकट दिवस : जहां संतों का समागम, वह स्थान बन जाता है तीर्थ
जहां संतों का समागम, वह स्थान बन जाता है तीर्थ
– श्री कबीर दास साहेब का 626 वां प्राकट्य दिवस धूमधाम के साथ मनाया
ऋषिकेश। श्री कबीर दास साहेब का 624 वां प्राकट्य दिवस बड़ी धूमधाम के साथ कबीर चौरा आश्रम में मनाया गया। विद्वान संतों ने कहा कि जहां संतों का समागम होता है वह स्थान तीर्थ बन जाता है।
इस अवसर पर कबीर चौरा आश्रम में कार्यक्रम के संयोजक व कबीर चौरा आश्रम के परमाध्यक्ष कपिल मुनि महाराज ने आए हुए सभी श्री महंत संतों को पुष्पहार और उत्तरीय उड़ा कर सम्मानित किया। महंत कपिल मुनि महाराज ने कहा कि “संत मिलन को जाइऐ, तज माया अभिमान
ज्यों ज्यों पग आगे धरे, कोटिन यज्ञ समान” जहां संतों का समागम हो वह स्थान तीर्थ बन जाता है। जिस प्रकार कबीर साहेब ने पूरे विश्व में रूढ़िवादिता और अंधविश्वास के खिलाफ समाज को जागरूक किया। उसी प्रकार संत भी सबका उद्धार के लिए संसार में प्रकट होकर सबका उद्धार करते हैं।
संतों ने कहा कि कबीरदास 15 वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञानमार्गी उपशाखा के महानतम कवि थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनकी रचनाएं सिक्खों के आदि ग्रंथ में सम्मिलित की गयी हैं। वे एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास रखते थे। उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की।
इस अवसर पर कबीर चौरा आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन संत महंत प्रदीप दास महाराज को भी याद किया गया। संतो ने कहा कि भक्तों को सदमार्ग पर ले जाने वाले संत हमेशा पूजनीय होते हैं। महंत प्रदीप दास त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनसे युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस अवसर पर योगी आशुतोष, षडदर्शन साधु समाज के अध्यक्ष महंत गोपाल गिरी महाराज,शिवम महंत, सुतिक्षण मुनि, महंत सरविंदर सिंह, विजय सारस्वत, महंत विनय सारस्वत, महंत जतिद्रानंद, महिमानंद महाराज,रवि देव शास्त्री महाराज, स्वामी अखंडानंद, महंत रवि प्रपन्नाचार्य, रामस्वरूप ब्रह्मचारी, आनंद स्वामी, , स्वामी गणेश दास रामायणी, राजेंद्र दास, जतिन विरमानी आदि मौजूद रहे।