उत्तराखंड

सार्वजनिक मार्गों पर बने सभी द्वार अवैध तथा हटाने योग्य

सार्वजनिक मार्गों पर बने सभी द्वार अवैध तथा हटाने योग्य

काशीपुर परगना मजिस्ट्रेट ने हाईकोर्ट के आदेशों को उल्लेख करते हुये हटाया नगर निकाय व कमेटी द्वारा बनाया द्वार

हाईवे पर कोई भी निर्माण तथा यूनिपोल, होर्डिंग, बैनर, पोस्टर लगाना भी अवैध तथा दण्डनीय अपराध: नदीम

काशीपुर। सार्वजनिक मार्गों पर बने सभी द्वार अवैध तथा हटने योग्य हैं भले ही यह स्थानीय निकायों द्वारा ही बनाये गये हों। काशीपुर परगना मजिस्ट्रेट अभत प्रताप सिंह ने हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लेख करते हुये कमेटी तथा नगर पालिका द्वारा बनाये गये द्वार को हटवा दिया। हाईवे पर भी कोई भी निर्माण तथा यूनीपोल, होर्डिंग, बैनर, पोस्टर लगाना भी दण्डनीय अपराध है। यह कानूनी जानकारी 45 कानूनी पुस्तकों के लेखक तथा 34 वर्षों के अनुभवी अधिवक्ता तथा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने दी।

नदीम ने बताया कि सार्वजनिक मार्गांेे पर किसी भी व्यक्ति, संस्था या स्थानीय निकायों को अवरोध करने का अधिकार नहीं है। जबकि प्रदेश में विभिन्न नगर निगमो, नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों, जिला पंचायतों आदि द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों तथा अन्य मार्गों की भूमि को घेरकर जनता के पैसे का दुरूपयोग करके विभिन्न द्वार बनाये गये हैं जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग की भूमि पर ऐसा करने पर कन्ट्रोल आॅफ नैशनल हाईवेज ( लैण्ड एण्ड ट्रेफिक) एक्ट 2002 की धारा 24 व 38 के अन्तर्गत रोक है। इसके अनुसार हाईवे प्रशासन की लिखित अनुमति के बगैर राजमार्ग भूमि पर कोई भी निर्माण, खम्बा, पोल, पिलर, विज्ञापन टाॅवर सहित कोई भी अस्थाई या स्थाई निर्माण नहीं किया जा सकता है।

हाईवे प्रशासन द्वारा भी यातायात में अवरोध या प्रभावित करने वाले किसी निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस नियम का उल्लंधन करके ऐसा करना धारा 39 के अन्तर्गत एक.वर्ष तक की सजा से दण्डनीय अपराध है। यह द्वार जहां मार्ग में अवरोध करते हैं वही अन्य अतिक्रमण का भी साधन बनते हैं। इसके अतिरिक्त नगर निकायों द्वारा विभिन्न प्राइवेट कालौनियों में सरकारी या निकाय के धन से जो मार्ग बनाये गये हैं उन पर भी सरकारी/निकाय के धन से मार्ग बनने पर वह मार्ग सार्वजनिक होने के बावजूद भी उस पर प्राइवेट गेट लगे है और गेटों से उन्हें सामान्य जनता के लिये अवरूद्ध कर दिया गया है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 के अन्तर्गत मूल अधिकार व मानवाधिकार का उल्लंघन है ।

नदीम ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट के एम.सी. मेहता सहित विभिन्न मामलों में दिये गये निर्णयों के अनुसार हाईवे पर कोई भी मार्ग चिन्हों के ट्रैफिक बोर्डांे के अतिरिक्त कोई भी यूनिपोल, होर्डिंग, बोर्ड, बैनर, पोस्टर नहीं लगाया जा सकता है। ऐसा करना नैशनल हाईवेज ( लैण्ड एण्ड टेफिक) एक्ट 2002 की धारा 38 का उल्लंघन तथा धारा 39 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध हैं। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड में लागू उत्तराखंड लोक सम्पत्ति विरूपण निवारण अधिनियम 2003.की धारा 3 के अन्तर्गत किसी भी मार्ग व दीवार खम्बे आदि पर बैनर पोस्ट आदि लगवाना व लिखवाना.एक साल तक की सजा से दण्डनीय अपराध हैं।

काशीपुर परगना मजिस्ट्रेट ने बी.एन.एस.एस. की धारा 152 के अन्तर्गत फौजदारी वाद सं0 4/2025 में अन्तिम आदेश 27-05-2025 से काशीपुर के बैलजूड़ी लेखपाल क्षेत्र में बनाये गये द्वार को ध्वस्त कराने का आदेश उत्तराखंड उच्च न्यायालय के जनहित याचिका सं0.192/2024 आदेश का उल्लेख करते हुये दे दिया।

इसके बाद कमेटी ने अपने बनाये गये द्वार तथा प्रशासन की टीम ने नगर पालिका द्वारा सरकारी धन से बनाये गये द्वार को ध्वस्त कर दिया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अन्तर्गत सभी भारतीय नागरिकों को कानून के समान संरक्षण का मूल अधिकार होने तथा उत्तराखंड कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 के नियम 4 के अन्तर्गत सभी के साथ समान व्यवहार करने की बाध्यता के चलते अब आम जनता को यह आस बंधी हैं कि प्रदेश भर में मार्गों पर अवैध रूप से बने द्वारो, बोर्डों, यूनिपोल, होर्डिंग, बैनरों को हटाया जायेगा तथा आगे ऐसा नहीं होने दिया जायेगा। राजनैतिक लाभ, आर्थिक लाभ व भ्रष्टाचार आदि के लिये ऐसा करने पर दण्डात्मक कार्यवाही भी की जायेगी।

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