उत्तराखंड

तीर्थ पुरोहितों की भावना का मोदी ने किया सम्मान : पोस्ती

तीर्थ पुरोहितों की भावना का मोदी ने किया सम्मान : पोस्ती

केदारनाथ धाम।

वर्ष 2013 की भीषण दैवीय आपदा ने जब संपूर्ण केदारघाटी ही नहीं समूचे उत्तराखंड को झकझोर दिया था, तब तीर्थ पुरोहित समाज के अनेक भवन व निवास स्थल पूर्णतः नष्ट हो गए थे। उस कठिन समय में जब सम्पूर्ण देश केदारनाथ की पीड़ा से व्यथित था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीर्थ पुरोहितों को भरोसा दिलाया था कि उनके पुनर्वास और सम्मान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

मोदी की दूरदृष्टि, संकल्प और केदारनाथ के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा ने आज उस वचन को साकार कर दिया है। उनके प्रेरक नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने तीर्थ पुरोहितों के निवास स्थलों और यात्री सुविधाओं के पुनर्निर्माण कार्य को प्राथमिकता दी। इसी क्रम में, केदारनाथ धाम के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने सर्वप्रथम उत्तराखंड सरकार के समक्ष यह महत्वपूर्ण मांग रखी थी कि पुनर्निर्मित भवन तीर्थ पुरोहितों की पैतृक भूमि पर ही निर्मित किए जाएं, ताकि उनके पुश्तैनी अधिकार, परंपरा और आस्था का संरक्षण हो सके।

पोस्ती ने आज कहा कि उन्हें गर्व है कि सरकार ने इस मांग को स्वीकार किया और इस नीति के अंतर्गत बनने वाला पहला भवन उनकी पैतृक भूमि पर आरंभ हुआ। इस भवन का भूमि पूजन वर्ष 2023 में सम्पन्न हुआ था, और आज यह भवन विधिवत रूप से उन्हें सौंप दिया गया है।

पोस्ती ने कहा कि यह क्षण न केवल उनके लिए, बल्कि सम्पूर्ण तीर्थ पुरोहित समाज के लिए गर्व और संतोष का विषय है। रुद्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी प्रतीक जैन के हाथों इस भवन का विधिवत उद्धघाटन किया गया। इस अवसर पर केदार सभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, महामंत्री डॉ. राजेन्द्र तिवारी, तीर्थ पुरोहित कुबेरनाथ पोस्ती, उमेश पोस्ती सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

पोस्ती ने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हृदय से आभार प्रकट करते हुए कहा कि मोदी ने केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण कर यात्रा को न केवल एक सरकारी परियोजना, बल्कि एक आध्यात्मिक अभियान के रूप में देखा। उनकी प्रेरणा से आज केदारनाथ धाम एक नया स्वरूप प्राप्त कर चुका है, जहाँ भव्यता के साथ-साथ संवेदना और संस्कृति भी पुनर्जीवित हुई है। इसके साथ ही उन्होंने उत्तराखंड के संवेदनशील मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भी अभिनंदन करते हुए उनके नेतृत्व में राज्य सरकार ने तीर्थ पुरोहितों की आवाज़ को सम्मान दिया, और उनके पुनर्वास को न्यायसंगत और पारदर्शी रूप से आगे बढ़ाया।

उन्होंने कहा कि आज यह भवन केवल एक निर्माण नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और नवजीवन का प्रतीक है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के “नए भारत” और धामी के “समर्पित उत्तराखंड” की भावना का सजीव उदाहरण है।

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