
पारंपरिक रीति रिवाज और लुप्त होते व्यंजनों से नई पीढ़ी रूबरू कराने का प्रयास
देहरादून। साहित्यकार एवं पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि
पारंपरिक रीति-रिवाज एवं विलुप्त होते व्यंजन पर आधारित पुस्तक गौहन्ना डाट काम के माध्यम से शहरी विकास अपर निदेशक एवं लेखक डा. ललित नारायण मिश्र ने नई पीढ़ियों को रूबरू कराने का काम किया। पुस्तक को उन्होंने खुद के जीवन के अनुभव से जोड़कर लिखा है। जिसमें पशु, पक्षी, व्यंजन, परिधान के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है।
शनिवार को जामुनवाला स्थित होटल प्लीजेंट ट्री में लेखक ललित नाराण मिश्र की पुस्तक गौहन्ना डाट काम का मुख्य अतिथि साहित्यकार एवं पद्मश्री लीलीधार जगूड़ी ने विमोचन किया। उन्होंने लोक जीवन पर आधारित विषयों का अध्ययन कर लेखक को शुभकामनाएं दी। कहा कि लोक जीवन के बिना साहित्य अधूरा है। उन्होंने हिंदी साहित्य में लोक जीवन एवं उस पर सृजित साहित्य के बारे में विस्तार से उल्लेख किया। प्रो. डा. सुधा रानी पांडे ने वेदों एवं उपनिषदों का उल्लेख करते हुए कहा कि संस्मरण साहित्य को प्राचीन परंपरा में लेखक का अभिनव प्रयास है। साहित्यकार असीम शुक्ल ने खुद के जीवन से जोड़ डा. ललित नारायण मिश्र ने लिखी पुस्तकपुस्तक विमोचन समारोह गांव बदलने के साथ विलुप्त होती पंरपरा पर आधारित है पुस्तक जामुनवाला स्थित होटल प्लीजेंट ट्री में लेखक डा. ललित नारायण मिश्र की पुस्तक गौहन्ना डाट काम का विमोचन करते साहित्यकार एवं पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी व अन्य जागरण तुलसी की रामचरितमानस से जोड़ते हुए अपनी बात प्रमुखता से रखी। संयुक निदेशक सूचना विभाग डा. नितिन उपाध्याय ने कहा पुस्तक के हर पन्ने में गांव से जुड़ी रोचक तथ्य हैं। जो गांव की ओर ले जाने के लिए मजबूर करती है। साहित्यकार एवं वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अमित श्रीवास्तव ने बदलते नव साहित्य के महत्व को रेखांकित करने का काम किया। साहित्यकार प्रो. रमन विनय ने कहा कि रचना के कुछ एक अंश से अभिभूत हूं। बनारस हिंदू विश्विद्यालय के हिंदी साहित्यकार डा. देवी प्रसाद तिवारी ने हिंदी साहित्य में नवाचारों का उल्लेख किया। उन्होंने पुस्तक गौहन्ना डाट काम को एक अलग विधा में रचा हुआ ग्रंथ बताया।
इस मौके पर हरिद्वार संस्कृत विश्व विद्यालय के प्रो. डा. अरविंद नारायण मिश्र, साहित्यकार जितेन ठाकुर, कवि श्रीकांत, अम्बर खरबंदा, सतीश बंसल, लेखिका सुमन पांडे एवं ऊषा झा, लेखक कुलदीप गैरोला, रणधीर अरोड़ा, अनुपम द्विवेदी, केके पांडे, विजय सिंह, सतीश अग्रवाल, तुषार
गुप्ता, डा. शिव कुमार बरनवाल,
अशोक पांडेय आदि मौजूद रहे।