उत्तराखंड

करुणामई वरदायिनी कर कम्ल वीणा धारिनी मां सरस्वती मां सरस्वती…….

करुणामई वरदायिनी कर कम्ल वीणा धारिनी मां सरस्वती मां सरस्वती…….

सजा लो घर को गुलशन सा मेरी मैया जी आई है मेरी मैया जी आई है…. गीतों से भक्ति मय हुआ बसंत पंचमी का सरस्वती पूजा पंडाल….

पटना से पाजेब बलम जी आरा से ओठलाली मंगाईदा छपरा से चुनरिया छिटवाली वाली…..

राजपुर रोड स्थित शिव बाल योगी आश्रम में आज सरस्वती पूजा बसंत पंचमी का कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मूर्ति पूजा के साथ की गई उसके बाद हवन कीर्तन भजन एवं भंडारे का आयोजन किया गया।कार्यक्रम स्थल पर आए हुए सभी अतिथियों एवं श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की व्यवस्था की गई थी शाम 4:00 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन बिहार से आए कलाकारों द्वारा किया गया ।

आपको बताते चले की बसंत पंचमी सरस्वती पूजा का यह 18 वा साल रहा बिहारी महासभा द्वारा प्रतिवर्ष बसंत पंचमी सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है सभा द्वारा आयोजित पूजा का यह 18 वर्ष था बिहार से आए कलाकारों द्वारा कार्यक्रम स्थल पर उत्कृष्ट कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए ।

आपको बताते चले कि बिहारी महासभा, देहरादून द्वारा वार्षिक रूप से 180C, शिव बालयोगी आश्रम, राजपुर रोड, देहरादून, उत्तराखंड में वर्ष 2008 से श्री शिव बालयोगी महाराज के सानिध्य में सरस्वती पूजा महोत्सव का नियमित आयोजन किया जाता रहा है। यह महोत्सव हिंदी पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, अतः इसे वसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है ।
इस दिन को बच्चों के विद्यारम्भ संस्कार के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें बच्चे अपनी शिक्षा प्रक्रिया की शुरुआत करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण परंपरा है जो बच्चों को शिक्षा के महत्व को समझाती है और उन्हें पढ़ाई की शुरुआत में बलिदान की भावना देती है।

विद्यारम्भ संस्कार में छोटे बच्चे विद्या माता की पूजा करते हैं और उनकी कृपा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके बाद, उन्हें पहली बार अक्षर लिखने और पढ़ने की शिक्षा दी जाती है, जिसमें उनके बुद्धि को विकसित किया जाता है और उन्हें शिक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है।
इस परंपरा के अंतर्गत, बच्चों के परिवार और समाज के सदस्य भी उनके उत्साह को बढ़ावा देते हैं और उनकी पढ़ाई में सहायता प्रदान करते हैं। विद्यारम्भ संस्कार का यह अद्भुत पर्व बच्चों के जीवन में शिक्षा के महत्व को स्थायीत करता है और उन्हें अच्छी शिक्षा के माध्यम से समृद्धि और सफलता की ओर अग्रसर करता है।

इस पर्व को परंपरागत रूप से किसानों द्वारा भी मनाया जाता है। इस दिन किसान अपनी हल की पूजा करते हैं। हल की पूजा करने से किसान यह संदेश प्राप्त करते हैं कि उनकी मेहनत और खेती माता भूमि के साथ उनका संबंध अत्यंत मौलिक और महत्वपूर्ण है।
किसान इस दिन अपने हल को साफ करते हैं और उसे धूप, दीपक और पुष्पों से सजाते हैं। उनकी इस प्रार्थना का मकसद होता है कि भूमि माता उन्हें समृद्धि और सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ाएं और उन्हें अच्छी फसलों की प्राप्ति का आशीर्वाद दें।
किसानों के लिए यह पर्व उनकी खेती की मेहनत का सम्मान करता है और उन्हें आत्म-विश्वास देता है कि उनकी मेहनत और संघर्ष हमेशा सफलता की ओर ले जाते हैं। इस दिन किसान अपने हल की पूजा के साथ ही भूमि माता के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं। इस प्रकार, इस पर्व से किसान समाज में एक अहम भूमिका निभाते हैं और उन्हें उत्साह और प्रेरणा प्रदान की जाती है।

यह पूजा महोत्सव देहरादून के स्थानीय समुदाय के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण और उत्सवपूर्ण अवसर है। इस महोत्सव में श्रद्धालु विद्यार्थियों और कलाकारों को सरस्वती माता की पूजा-अर्चना का अवसर प्राप्त होता है। इसके साथ ही, विद्या, कला, और संस्कृति के महत्व को बढ़ावा देने के लिए भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर बिहार और उत्तराखंड के लोक कलाकार अपनी कला का प्रस्तुतिकरण करते हैं। यहाँ पर लोक संगीत, नृत्य, कविता आदि के माध्यम से वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को साझा करते हैं। बिहार और उत्तराखंड की लोक संस्कृति में अमूल्य संपत्ति छुपी होती है, जिसके माध्यम से ये कलाकार लोगों को अपनी महत्वपूर्ण धरोहर का परिचय देते हैं।

इन लोक कलाकारों के द्वारा प्रस्तुत किए गए कार्यक्रमों में स्थानीय लोगों को अपनी पारंपरिक कला का अनुभव होता है और वे अपनी संस्कृति के प्रति गर्व महसूस करते हैं। इसके अलावा, यह कलाकार भी अपनी कला को साझा करके समूह में आनंद और मनोरंजन का माहौल बनाते हैं।
इस प्रकार, सरस्वती पूजा महोत्सव के दौरान बिहार और उत्तराखंड की लोक संस्कृति के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ता है और इस पर्व को और भी रंगीन बनाता है। इसके माध्यम से सांस्कृतिक विविधता को समझा जाता है और लोगों के बीच सांस्कृतिक एकता का अनुभव होता है।
यहाँ उपस्थित सभी लोग समाज के एक-दूसरे के साथ मेल-जोल करते हैं और एक दूसरे को आशीर्वाद देते हैं। सरस्वती पूजा महोत्सव के इस उत्साहजनक माहौल में समाज के अनेक नवयुवक और युवतियाँ भाग लेती हैं और अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन करती हैं।
श्री शिव बालयोगी महाराज के सानिध्य में आयोजित महोत्सव ने देहरादून के समाज को सांस्कृतिक रूप से समृद्धि प्रदान की है। यहाँ विद्या, कला, और संस्कृति के प्रति लोगों की भावनाओं का सम्मान होता है और समाज में एकता और समरसता का आभास होता है।
इस रूप में, सरस्वती पूजा महोत्सव न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह समाज के लिए एक सांस्कृतिक उत्सव भी है जो लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ता है और सामूहिक उत्साह को बढ़ाता है।

इस महोत्सव में राज्य के समस्त राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तित्वों की उपस्थिति होती है। इस महोत्सव में राज्य के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, संस्थानिक अधिकारी, और अन्य प्रमुख व्यक्तित्व शामिल होते हैं। इन प्रमुख व्यक्तियों का उत्सव में उपस्थित होना इसे और भी महत्वपूर्ण और आकर्षक बनाता है। वे इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएँ देते हैं और समाज के लोगों के साथ मिलने-मिलाप का आनंद लेते हैं। इस प्रकार, सरस्वती पूजा महोत्सव को राज्य के प्रमुख व्यक्तित्वों के उपस्थिति से एक सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक महत्वपूर्ण घटना बनाता है। उनकी उपस्थिति से यह प्रदर्शनीय उत्सव और भी रंगीन होता है और समाज को एकात्मता और समृद्धि की भावना प्रदान करता है।

बिहार से आए कलाकारों द्वारा मुख्य रूप से सरस्वती वंदना शिवम द्वारा प्रस्तुति , मेरा बिहार गौरव गान,विहार सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति ग्रुप डांस, कडवा बोलै छै,बोले मोरंग मोरंग ग्रुप डांस हास्य कलाकार बजरंग द्वारा मिमिक्री महिला सिंगार द्वारा अपराजिता की प्रस्तुति , श्यामा चके चकवा ग्रुप डांस , ग्रुप डांस शिवम द्वारा शिवम अपराजिता के द्वारा डुएट लोक सॉन्ग डांस वीडियो एवं होली सॉन्ग सोहर बधाइयां बिहार से आए कलाकारों में मुख्य रूप से कृतिका गुप्ता ,वर्षा , दीप्ति,निशा ,अपराजिता गायिका ,विवेक ,विकास, बजरंगआदि कलाकार मौजूद थे ।।

आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से बिहारी महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह सचिव चंदन कुमार झा ,कोषाध्यक्ष रितेश कुमार, कार्यकारिणी सदस्य अमरेंद्र कुमार, आलोक सिन्हा, उमेश राय, विनय कुमार यादव, सुरेश ठाकुर, राजेश कुमार पूर्व अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह रंजन कुमार ,दीपक कुमार पांडे, अभय कुमार ,हरिश्चंद्र झा ,अवनीश कुमार सिंह विकास कुमार शशिकांत गिरी रामनिवास विनय कुमार सिंह व्हाट्सएप वर्मा अजय कुमार डॉक्टर स्क झा संदीप महतो शंकर दास मुकेश कुमार मनोज साहनी मनोज ठाकुर मंजय कुमार शशि शेखर डॉक्टर जितेंद्र सिंह धर्मेंद्र ठाकुर पिंटू कुमार साहुल कुमार बाबुल कुमार विनय सनी चंद्रिका प्रसाद दिनेश शर्मा बलराम चौधरी आलोक कुमार सिंह रवि पांडे नंदन कुमार संतोष सिंह एसके अग्रवाल सहित सैकड़ो की संख्या में कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

बिहार से आए कलाकारों द्वारा मुख्य रूप से सरस्वती वंदना शिवम द्वारा प्रस्तुति , मेरा बिहार गौरव गान,विहार सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति ग्रुप डांस, कडवा बोलै छै,बोले की मोरंग मोरंग ग्रुप डांस हास्य कलाकार बजरंग द्वारा मिमिक्री महिला सिंगार द्वारा अपराजिता की प्रस्तुति , श्यामा चके चकवा ग्रुप डांस , ग्रुप डांस शिवम द्वारा शिवम अपराजिता के द्वारा डुएट लोक सॉन्ग डांस वीडियो एवं होली सॉन्ग सोहर बधाइयां बिहार से आए कलाकारों में मुख्य रूप से कृतिका गुप्ता ,वर्षा , दीप्ति,निशा ,अपराजिता गायिका ,विवेक ,विकास, बजरंगआदि कलाकार मौजूद थे ।।

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