चार धाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या में नियंत्रण न रखना खतरनाक

चार धाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या में नियंत्रण न रखना खतरनाक
चारधाम यात्रा में हो सकती है असमंजस की स्थिति
देहरादून।
उत्तराखंड में क्लाइमेट चेंज के प्रभाव, पर्यावरण, शहरीकरण और वेस्ट मैनेजमेंट सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटी (एसडीसी) फाउंडेशन ने उत्तराखंड में शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा 2025 में चारधामों की कैरिंग कैपेसिटी को देखते हुए हर दिन वहां जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या तय करने की जरूरत पर जोर दिया है।
चार धाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या में नियंत्रण न रखना खतरनाक
सामाजिक कार्यकर्ता और एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल के अनुसार मीडिया से जानकारी मिली है कि सरकार ने चारों धामों में यात्रियों की संख्या पर किसी तरह का कोई नियंत्रण न रखने की बात कही है। इस तरह हर तीर्थयात्री को धामों में जाने की अनुमति देने का फैसला लिया गया है।
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में चार धाम यात्रा के आकार में भारी बढ़ोत्तरी हुई है और इस बार फिर से पिछले साल से कहीं ज्यादा तीर्थयात्रियों के पहुंचने की संभावना है। ऐसे में धामों में भारी भीड़ उमड़ने और अव्यवस्थाएं फैलने की पूरी आशंका है। इस कारण धामों की कैरिंग कैपेसिटी का ध्यान रखे बिना असीमित संख्या में तीर्थयात्रियों को वहां जाने की अनुमति देना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
चार धाम यात्रा 2024 पर जारी की थी विस्तृत रिपोर्ट
अनूप नौटियाल के अनुसार एसडीसी फाउंडेशन लगातार धामों की कैरिंग कैपेसिटी को लेकर सरकार को आगाह करता रहा है। 2024 की 192 दिन की चार धाम यात्रा को लेकर भी फाउंडेशन ने एक विस्तृत रिपोर्ट पाथवेज टू पिलग्रिमेज: डेटा इनसाइट्स, चैलेंजेस एंड अपॉर्चुनिटी जारी की थी।
इस रिपोर्ट में 28 हफ्ते और 192 दिन तक हर धाम में हर दिन पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या का उल्लेख किया गया था । इसके साथ ही 14 ग्राफ के माध्यम से 10 प्रमुख बिंदुओं को हाईलाइट किया गया था । मीडिया डॉक्यूमेंटेशन के एनालिसिस और रजिस्ट्रेशन व्यवस्था को सरल बनाने के एक स्पेशल फीचर के साथ कई और सुझाव भी इस रिपोर्ट में दिये गये थे ।
असमंजस की स्थिति
अनूप नौटियाल के अनुसार चार धाम यात्रा शुरू होने से पहले जिस तरह की अनियमितताएं बरती जा रही हैं, उससे तीर्थयात्रियों में असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है। सरकार ने ऐलान किया है कि सभी को धामों में जाने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन, जब लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने का प्रयास कर रहे हैं तो पता चल रहा है कि धामों में अलग-अलग दिनों में स्लॉट बुक हो चुके हैं।
उन्होंने कहा की 30 अप्रैल से शुरू होने वाली चार धाम यात्रा में आज के समय में भी 18 मई तक यमुनोत्री धाम के 17 दिन के स्लॉट फुल हो चुके हैं और केदारनाथ के सिर्फ 7 दिन के स्लॉट खुले हैं।
अनूप नौटियाल ने सवाल उठाया कि यदि तीर्थयात्रियों की संख्या की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है तो फिर स्लॉट बुक हो जाने का क्या मतलब हो सकता है। सभी को जाने की अनुमति देने का मतलब तो यह है कि सभी का रजिस्ट्रेशन हो जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले 60 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन और 40 प्रतिशत ऑफ लाइन करने की बात कही है। सभी यात्रियों को धामों में जाने की अनुमति दिये जाने के सरकारी आदेश के बाद यदि लोग उत्तराखंड आते हैं और उन्हें सभी स्लॉट बुक हो जाने की बात कह कर रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया जाता है तो न सिर्फ तीर्थयात्रियों बल्कि सरकारी सिस्टम से जुड़े अधिकारीयों और कर्मचारियों को भी परेशानी होगी। इसी के साथ उत्तराखंड की छवि भी प्रभावित होगी। उन्होंने राज्य सरकार से इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है और कहा है कि चार धाम यात्रा से संबंधित सभी विभागों में सामंजस्य स्थापित किया जाना बेहद जरूरी है।