उत्तराखंड

IPS अजय सिंह: देहरादून के कप्तान और उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियाँ

आईपीएस अजय सिंह: देहरादून के कप्तान और उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियाँ

परिचय

आईपीएस अधिकारी अजय सिंह, 2014 बैच के तेज-तर्रार और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें सितंबर 2023 में देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के रूप में नियुक्त किया गया। इससे पहले वह हरिद्वार के एसएसपी के रूप में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं और अपनी कार्यकुशलता, अपराध नियंत्रण में सख्ती और सामाजिक संवेदनशीलता के लिए जाने जाते हैं। उत्तराखंड पुलिस विभाग में उनकी नियुक्ति और कार्यशैली ने उन्हें एक विश्वसनीय और नो-नॉन्सेंस अधिकारी के रूप में स्थापित किया है।

प्रारंभिक जीवन और करियर

अजय सिंह ने अपने पुलिस करियर की शुरुआत 2005 में प्रादेशिक पुलिस सेवा (पीपीएस) के तहत डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी) के रूप में की थी। 2018 में उनकी मेहनत और समर्पण के फलस्वरूप उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में प्रोन्नति मिली और उन्हें 2014 बैच आवंटित किया गया। अपने करियर के दौरान, उन्होंने देहरादून में सीओ सिटी, सीओ डालनवाला, एसपी सिटी और हरिद्वार में एसपी देहात जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने रुद्रप्रयाग में अपनी पहली आईपीएस पोस्टिंग प्राप्त की और बाद में पुलिस मुख्यालय में एसपी कार्मिक और एसएसपी विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के रूप में भी अपनी सेवाएँ दीं।

देहरादून के एसएसपी के रूप में प्राथमिकताएँ

देहरादून के एसएसपी के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के बाद, अजय सिंह ने अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया। उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के “ड्रग-फ्री देवभूमि 2025″ के विजन को साकार करने को अपनी प्रमुख प्राथमिकता बताया।

इसके अतिरिक्त, उनकी अन्य प्राथमिकताओं में शामिल हैं:

नशा तस्करी पर अंकुश: नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ कठोर कार्रवाई।

सड़क अपराधों पर नियंत्रण: स्ट्रीट क्राइम को कम करना और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना।

भूमाफिया पर कार्रवाई: अवैध भूमि अतिक्रमण और भूमाफिया के खिलाफ सख्त कदम।

पीड़ित-केंद्रित पुलिसिंग: शिकायतकर्ताओं की गोपनीयता बनाए रखते हुए उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान।

ट्रैफिक प्रबंधन: देहरादून में यातायात जाम की समस्या को कम करना।

साप्ताहिक चौपाल: प्रत्येक शनिवार को थानों में चौपाल आयोजित कर जनता की समस्याएँ सुनना।

प्रमुख उपलब्धियाँ”

अजय सिंह के करियर में कई उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हैं, जिन्होंने उन्हें एक कुशल और प्रभावी पुलिस अधिकारी के रूप में स्थापित किया है:

परीक्षा घोटाले का पर्दाफाश:
अजय सिंह ने विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रमुख के रूप में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) द्वारा आयोजित कई भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताओं और पेपर लीक के मामलों का खुलासा किया। उनके नेतृत्व में इस घोटाले के दोषियों को पकड़ा गया, जिससे उनकी सजगता और जांच कौशल की प्रशंसा हुई।

हरिद्वार में अपराध नियंत्रण:
हरिद्वार के एसएसपी के रूप में, अजय सिंह ने गंभीर अपराधों को नियंत्रित करने और ड्रग्स तस्करी पर प्रभावी कार्रवाई की। उनकी कार्यशैली के कारण अपराधी गिरोहों में खौफ पैदा हुआ और कई मामलों को जल्दी हल किया गया।

ऑपरेशन कालनेमि:

देहरादून के एसएसपी के रूप में, अजय सिंह ने “ऑपरेशन कालनेमि” की शुरुआत की, जिसके तहत तीन दिनों में 82 फर्जी साधुओं को गिरफ्तार किया गया। इस अभियान का उद्देश्य धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग करने वाले ठगों को पकड़ना था। इस अभियान को जनता और प्रशासन ने खूब सराहा।

शराब तस्करी पर कार्रवाई:
2024 में ऋषिकेश में शराब माफिया द्वारा एक पत्रकार पर हमले के बाद, अजय सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ऋषिकेश की विशेष संचालन समूह (एसओजी) को भंग कर दिया और शराब तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने जनता से भी अपील की कि वे तस्करों की जानकारी पुलिस को प्रदान करें।

नशा तस्करी के खिलाफ अभियान:
अजय सिंह ने नशा तस्करी के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया और कई तस्करों को सलाखों के पीछे भेजा। उनके इस प्रयास को मुख्यमंत्री के ड्रग-फ्री उत्तराखंड के विजन के साथ जोड़ा गया।

चुनौतियाँ और नेतृत्व शैली

देहरादून जैसे संवेदनशील और व्यस्त शहर में एसएसपी के रूप में अजय सिंह के सामने कई चुनौतियाँ हैं। हाल के वर्षों में देहरादून में गंभीर अपराधों और डकैतियों की घटनाएँ बढ़ी थीं, जिसके बाद उनकी नियुक्ति को एक रणनीतिक कदम माना गया। उनकी नो-नॉन्सेंस कार्यशैली और नेतृत्व के उदाहरण ने पुलिस बल को प्रेरित किया है। वह अपनी टीम के साथ मिलकर काम करते हैं और जनता के बीच विश्वास बहाली के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत हैं।

कुल मिलाकर देखें तो आईपीएस अजय सिंह ने अपनी मेहनत, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के बल पर उत्तराखंड पुलिस में एक विशेष स्थान बनाया है। चाहे वह हरिद्वार में अपराध नियंत्रण हो, देहरादून में नशा तस्करी के खिलाफ अभियान हो, या फर्जी साधुओं के खिलाफ “ऑपरेशन कालनेमि” हो, उनकी उपलब्धियाँ उनकी कार्यक्षमता और नेतृत्व कौशल को दर्शाती हैं।

देहरादून के एसएसपी के रूप में, वह न केवल अपराध नियंत्रण में बल्कि सामाजिक और धार्मिक शुद्धता बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उनकी यह यात्रा न केवल पुलिस अधिकारियों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि समाज के लिए भी एक मिसाल है।

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