उत्तराखंड

यात्रा प्रबंधन के लिए बड़े – बड़े दावे छोड़ बुनियादी काम करे सरकार

यात्रा प्रबंधन के लिए बड़े – बड़े दावे छोड़ बुनियादी काम करे सरकार

एसडीसी फाउंडेशन ने आयोजित किया चार धाम यात्रा : संकट से समाधान राउंड टेबल डायलॉग

देहरादून। उत्तराखंड में चल रही चारधाम यात्रा इस बार श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड भीड़ और इसके कारण पैदा होने वाली अव्यवस्थाओं के कारण सुर्खियों में रही। खासकर शुरुआती कुछ दिन यात्रा को लेकर लगातार नकारात्मक खबरों का बोलबाला रहा। इससे एक चिंता भी व्यक्त की जानी लगी है कि कहीं यात्रा का यह शुभ अवसर, राज्य के लिए संकट तो नहीं बनता जा रहा है। इस बार एसडीसी फाउंडेशन के राउंड टेबल डायलॉग में चारधाम यात्रा – संकट से समाधान विषय पर विशेषज्ञों ने यात्रा प्रबंधन में नजर आ रही खामियों और इसके समाधान पर चर्चा की। राउंड टेबल डायलॉग में पब्लिक पालिसी, जन स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं जियोलॉजी, आपदा प्रबंधन, पर्यटन, मीडिया और सामाजिक क्षेत्र के एक्सपर्ट्स ने प्रतिभाग किया।

राउंड टेबल डायलॉग की शुरुआत करते हुए एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने कहा कि छह माह की चारधाम यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए उत्तराखंड सरकार को छह प्रमुख बिंदुओं पर कार्य करने की जरूरत है। चार धाम यात्रा को रणनीति, प्रबंधन, सुरक्षा , पर्यावरण, क्राउड मैनेजमेंट और इकॉनमी के अलग अलग पहलुओं को एकीकृत करते हुए राज्य सरकार को आगे बढ़ने की ज़रूरत है। उन्होंने यात्रा की कैरिंग कैपेसिटी को लेकर सवाल किये।

एम्स ऋषिकेश की फिजियोलॉजी विभाग की प्रोफेसर एवं हेड डॉ. लतिका मोहन ने चार धाम यात्रा में स्वास्थ्य संबंधी विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि तमाम विशेषज्ञों की राय के बावजूद सरकार सुधारात्मक कदम नहीं उठा पा रही है। उनके सहयोगी बद्रीनाथ एवं केदारनाथ धाम में सेवाएं दे चुके एम्स ऋषिकेश के डॉ. श्रीकांत ने कहा कि चार धामों सहित यात्रा मार्ग पर मेडिकल सुविधा नाकाफी है। किसी तरह की गंभीर स्थिति में नजदीकी स्वास्थ्य सेवाएं ऋषिकेश एम्स में ही मिल पाती है, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज महज रेफर सेंटर तक बनकर रह गया है। उन्होंने प्रचार प्रसार और एम्बुलेंस सेवा को मजबूत बनाने पर ज़ोर दिया।

पब्लिक पालिसी विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप मेहता ने बताया कि वो काफी समय पहले यात्रा प्रबंधन को लेकर पॉलिसी डॉक्यूमेंट तैयार कर सरकार को सौंप चुके हैं, लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। अब भी यात्रा मार्ग पर तमाम दिक्कतें हैं और उनके द्वारा दिए हुए सुझाव स्थिति को सुधारने में मददगार साबित हो सकते हैं। मेजर राहुल जुगरान ने कहा कि सरकार की मुख्य प्राथमिकता चार धाम यात्रा का प्रबंधन होना चाहिए जबकि सरकार मुख्य तौर पर यात्रियों की रिकॉर्ड संख्या पर फोकस कर इसे उपलब्धि मान रही है। उन्होंने कहा कि हर बार केदारनाथ की तुलना अमरनाथ यात्रा से की जाती है, जबकि इन दोनों यात्राओं में व्यापक अंतर है।

जियोलॉजी और पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ एसपी सती ने कहा कि यात्रा प्रबंधन के लिए एक स्वतंत्र और मजबूत संगठन बनाया जाना जरूरी है, उन्होंने कहा कि यात्रा की बढ़ती भीड़ से पर्यावरण पर भी संकट गहराता जा रहा है। चार धाम ऑल वेदर रोड की अलावा उन्होंने लूप लाइन्स को मजबूत करने की अहम् ज़रूरत बताई। चारों धामों के वैज्ञानिक तौर तरीकों से कैरिंग कैपेसिटी और उसका अनुपालन आवश्यक है। सामाजिक कार्यकर्ता और पलायन पर काम करने वाले रतन सिंह असवाल ने कहा कि यात्रा का लाभ एक सीमित क्षेत्र के लोगों को मिल पाता है, लेकिन इसकी मुश्किलें गढ़वाल की बड़ी आबादी को झेलनी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि यात्रा प्रबंधन के नाम पर पुलिस के अलावा और कोई विभाग कोई भी प्रयास करता नजर नहीं आता है।

वरिष्ठ पत्रकार पवन लालचंद ने कहा कि 2014 के बाद देश में धार्मिक पर्यटन बढ़ने का रुझान है, लेकिन प्रदेश सरकार इस रुझान के अनुसार अपनी तैयारी नहीं कर पाई जिस कारण यह संकट खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार यात्रा के बावत सूचनाएं भी यात्रियों तक नहीं पहुंचा पा रही है। इस कारण लोग बिना जानकारी के यहां आ रहे हैं। पत्रकार राहुल कोटियाल ने कहा कि आज से दस साल पहले तक युवा धार्मिक यात्राओं पर नहीं जाते थे, लेकिन अब युवा ही अधिक संख्या में केदारनाथ जैसी दुर्गम स्थान पर पहुंच रहे हैं। इसलिए सरकार को यह पहचान करनी होगी कि धार्मिक यात्रा पर किस तरह के यात्री को आना चाहिए।

वरिष्ठ पत्रकार संजीव कंडवाल ने राउंड टेबल डायलॉग का निचोड़ रखते हुए कहा की यात्रा प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार करते हुए ठोस अमल किए जाने की जरूरत है। संख्या बल से कहीं ज़्यादा सुरक्षित अवं सुव्यवथित यात्रा पर फोकस रखते हुए सभी हितधारकों से निरंतर संवाद कर चार धाम यात्रा का संचालन सरकार के लिए वर्तमान की तुलना में एक बेहतर मॉडल बना सकता है।

डायलॉग के संचालन में एसडीसी फाउंडेशन के दिनेश सेमवाल और सुनीत वर्मा का सहयोग रहा।

 

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