उत्तराखंड

धराली त्रासदी उत्तराखंड की नाज़ुक स्थिति की गंभीर चेतावनी

धराली त्रासदी उत्तराखंड की नाज़ुक स्थिति की गंभीर चेतावनी: एसडीसी फ़ाउंडेशन की अगस्त 2025 की उदय रिपोर्ट में राज्य में पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील योजना बनाने की अपील

एसडीसी फाउंडेशन 25वीं राज्य स्थापना वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर तीन महीने की विशेष रिपोर्ट के साथ उत्तराखंड में आपदा और जलवायु जोखिमों पर डालेगी प्रकाश

देहरादून: देहरादून स्थित पर्यावरणीय एक्शन एवं एडवोकेसी समूह एसडीसी फ़ाउंडेशन द्वारा जारी मासिक उत्तराखंड डिज़ास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (उदय) की अगस्त 2025 रिपोर्ट राज्य की गहराती आपदा स्थिति का गंभीर चित्र प्रस्तुत करती है। इस महीने कई दुखद घटनाएँ दर्ज हुईं, जिनमें 5 अगस्त को उत्तरकाशी ज़िले के धराली में आई आपदा हाल के वर्षों की सबसे विनाशकारी घटनाओं में रही।

खिरगंगा नदी में अचानक आई बाढ़ ने चंद सेकंडों में धराली गाँव को समतल कर दिया। घर, दुकानें और लोग बह गए और शुरुआती दिनों में कम से कम 43 लोग लापता हो गए। सेना के कैंप, हर्षिल हेलीपैड और भागीरथी नदी में अस्थायी झील का निर्माण भी इस आपदा में हुआ।

इस त्रासदी ने भागीरथी इको-सेंसिटिव ज़ोन में 6,000 से अधिक देवदार के पेड़ों की कटाई को लेकर उठी आशंकाओं को फिर से जीवित कर दिया। वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों ने बार-बार चेताया है कि ढलानों की बेतरतीब खुदाई, मलबे का अवैज्ञानिक निस्तारण और वनों की कटाई जैसी गतिविधियाँ आपदाओं के खतरे को कई गुना बढ़ा रही हैं। आपदा के कुछ ही दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट की समिति के विशेषज्ञों ने भी केंद्र सरकार को चेताया कि यदि चारधाम सड़क परियोजना को मौजूदा स्वरूप में जारी रखा गया तो क्षेत्र और बड़े संकटों का सामना करेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिक्रिया स्वरूप धराली के लिए जोशीमठ मॉडल पर पुनर्वास पैकेज की घोषणा की और राज्य के सभी संवेदनशील क्षेत्रों में नए निर्माण पर रोक लगाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने तत्काल भूगर्भीय आकलन के आदेश दिए और कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों में कोई नया बसेरा अब नहीं बसाया जाएगा।

अगस्त माह में धराली के अतिरिक्त कई अन्य दुखद घटनाएँ दर्ज हुईं जैसे चमोली की हाइड्रोपावर परियोजना स्थल पर भूस्खलन, कोटद्वार, हल्द्वानी और पौड़ी में वर्षा से मौतें, थराली और स्याना चट्टी में तबाही, तथा रुद्रप्रयाग, चमोली और बागेश्वर में बाढ़। यह सभी घटनाएँ दिखाती हैं कि चरम मौसम और पारिस्थितिकीय कुप्रबंधन उत्तराखंड को लगातार संकट की ओर धकेल रहे हैं।

एसडीसी फ़ाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि धराली आपदा ने एक बार फिर साबित किया कि जिन्हें हम प्राकृतिक आपदा कहते हैं, वे दरअसल इंसानी गतिविधियों से पैदा हुई त्रासदियाँ हैं। हमारे नाज़ुक हिमालयी राज्य के लिए अब ‘बिज़नेस ऐज़ यूज़ुअल’ विकास संभव नहीं है। हमें तत्काल पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील योजना, अनियोजित निर्माण पर सख़्त नियंत्रण और जलवायु अनुकूल गवर्नेंस की दिशा में बढ़ना होगा।

उन्होंने उदय संपादकीय एवं शोध टीम का आभार भी व्यक्त किया और कहा कि वो गौतम कुमार, रिया राज, मिसबह खान और शुभ्रांश वीर के आभारी हैं जो अब प्रेर्णा रतूड़ी और प्रवीण उप्रेती के साथ संपादकीय टीम का हिस्सा बने हैं। उनकी मेहनत से आने वाले समय में यह रिपोर्ट्स और अधिक लाभकारी बनेंगी।

एसडीसी फ़ाउंडेशन ने निरंतर अर्ली वार्निंग सिस्टम, स्लोप स्टेबिलिटी, ग्लेशियर मॉनिटरिंग, भीड़ सुरक्षा प्रोटोकॉल और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर कड़ी निगरानी जैसे हस्तक्षेपों की माँग की है। आने वाले दिनों में संस्था जुलाई, अगस्त और सितंबर 2025 की भीषण आपदाओं और चरम जलवायु घटनाओं पर एक विशेष तीन माह का संकलन जारी करेगी। यह विशेष संकलन उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगांठ से भी जोड़ा जाएगा, जहाँ एसडीसी फ़ाउंडेशन राज्य के समस्त स्टेकहोल्डर का ध्यान जलवायु परिवर्तन और आपदा संवेदनशीलता के दृष्टिकोण से आमजन के सामने खड़ी गंभीर चुनौतियों की ओर आकर्षित करेगी।

अगस्त 2025 की रिपोर्ट उदय की 35वीं मासिक रिपोर्ट है जो अक्टूबर 2022 से लगातार उत्तराखंड में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर संवाद और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रकाशित की जा रही है।

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