उत्तराखंड

दीपक बाली: मेयर से स्थानीय राजनीति के किंग तक का सफर

दीपक बाली: मेयर से स्थानीय राजनीति के किंग तक का सफर

देहरादून।

कभी राजनीति में एक नया नाम… आज काशीपुर की पहचान बन चुका है — दीपक बाली। छह महीने पहले, जब उन्होंने मेयर की कुर्सी संभाली, तो लोगों के मन में सवाल थे — क्या यह नया चेहरा उम्मीदों पर खरा उतरेगा?
लेकिन समय ने जवाब दे दिया।
दिन-रात काम करना, गली-मोहल्लों की समस्याओं को सुनना, शहर के विकास के लिए लगातार योजनाएँ बनाना — दीपक बाली ने खुद को सिर्फ एक पद तक सीमित नहीं रखा।

उन्होंने लोगों के बीच रहकर, उनके सुख-दुख में शामिल होकर, भरोसे का ऐसा पुल बनाया जिसे तोड़ना आसान नहीं। फिर आया पंचायत चुनाव का दौर…पार्टी ने जिम्मेदारी उनके कंधों पर रखी। जीत आसान नहीं थी, लेकिन दीपक बाली ने राजनीति को सिर्फ सत्ता का खेल नहीं, बल्कि लोगों के विश्वास की परीक्षा माना। दिन हो या रात, शहर से गाँव तक, उन्होंने हर मोर्चे पर साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाया। और नतीजा — काशीपुर, बाजपुर, जसपुर — तीनों जगह पार्टी की जीत लगभग तय।

ग्राम फिरोजपुर से चंद्रप्रभा का निर्विरोध चुना जाना, सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि बाली की उस मेहनत का प्रमाण है जो उन्होंने लोगों के दिल जीतने में लगाई।

आज काशीपुर के लोग कहते हैं
“ये सिर्फ मेयर नहीं, हमारे अपने दीपक हैं… जो रोशनी फैलाते हैं और अंधेरों को पीछे छोड़ देते हैं।”

दीपक बाली का सफर यह बताता है कि राजनीति में असली ताकत कुर्सी में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में जगह बनाने में होती है — और यह जगह उन्होंने छह महीने में कमा ली है।

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