मानवाधिकार हनन तथा भेदभाव पूर्ण व्यवहार का मूल कारण भ्रष्टाचार

मानवाधिकार हनन तथा भेदभाव पूर्ण व्यवहार का मूल कारण भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के बगैर देश का विकास, शांति तथा सुरक्षा संभव नहीं
45 कानूनी जागरूकता पुस्तकों के लेखक, सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने भ्रष्टाचार नियंत्रण पुस्तक, नये अपराधिक कानून अपडेट सहित जारी की
काशीपुर। देश भर में बढ़ रहे सरकारी अधिकारियों के असंवैधानिक भेदभाव पूर्ण व्यवहार तथा मूल अधिकार व मानवाधिकार हनन का मूल कारण भ्रष्टाचार है। इस पर पूर्ण नियंत्रण के बगैर देश का विकास, शांति तथा सुरक्षा संभव नहीं है। इसके लिये कानून के अनुसार भ्रष्टाचारियों को कड़ी सजा तथा भ्रष्टाचार से कमाई उनकी सभी सम्पत्तियों को राष्ट्र को दिलवाना आवश्यक है।
उक्त उदगार भ्रष्टाचार नियंत्रण, मानवाधिकार संरक्षण, सूचना अधिकार सहित 45 कानूनी जागरूकता पुस्तकें के लेखक व सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने भ्रष्टाचार नियंत्रण पुस्तक नये अपराधिक कानून अपडेट सहित आम जनता के लिये जारी करते हुये व्यक्त किया।
नदीम ने बताया कि भारत में लागू कानून के अन्तर्गत भ्रष्टाचारी को न केवल जेल की सजा हो सकती है, बल्कि उसकी अवैध कमाई तथा उससे कमाई गयी सारी सम्पत्ति भी जब्त हो सकती है तथा आयकर व पैनल्टी के रूप में भी उससे जितनी उसने सम्पत्ति कमाई है उससे भी अधिक चुकानी पड़ सकती है।
नदीम ने स्पष्ट किया कि कानून के अनुसार भ्रष्टाचारी केवल रिश्वत लेने वाला ही नही है, बल्कि देने वाला तथा प्रभाव का प्रयोग करने वाला तथा आय के अनुपात से अधिक सम्पत्ति रखने वाला तथा पद का दुरूपयोग करके किसी व्यक्ति को अवैध लाभ पहुंचाने वाला भी हैं। भ्रष्टाचारी केवल भ्रष्टाचार नियंत्रण अधिनियम के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध ही नहीं करते बल्कि बी.एन.एस. (पहले आई.पी.सी.) में उल्लेखित विभिन्न अपराध भी करते हैं।
उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई पुलिस कर्मी अवैध रूप में किसी व्यक्ति को केवल वसूली के लिये घर या किसी स्थान से लेकर आता है तो यह बी.एन.एस. की धारा 140(2) के अन्तर्गत मृत्यु दण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय फिरौती के लिये अपहरण या व्यपहरण का अपराध है। इसी प्रकार किसी गिरफ्तार/हिरासत में लिये व्यक्ति से धन प्राप्ति या पूछताछ के लिये मारपीट की जाती हैं तो यह साधारण चोट मारने पर धारा 120(1) के अन्तर्गत सात वर्ष तथा गंभीर चोट मारने पर 120(2) के अन्तर्गत दस वर्ष तक की सजा से दण्डनीय गंभीर अपराध है। अगर किसी व्यक्ति को झूठे मुकदमें तथा नुकसान पहुंचाने की धमकी देकर डर दिखाया जाता है या धन प्राप्त किया जाता हैं तो यह रंगदारी के अपराध की श्रेणी में आता है।
नदीम ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के कारण ही विभिन्न भ्रष्ट अधिकारी मलाईदार पोस्टिंग पाने तथा उस पर बने रहने के लिये अपने राजनैतिक आकाओं को अवैध रूप से खुश करने का प्रयास करते हैं और इसके लिए वह कर्मचारी आचरण नियमावली तथा कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करके उन्हें राजनैतिक लाभ पहुुंचाने के लिये जनता के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार तथा मूल अधिकार तथा मानवाधिकार हनन करते है और वह यह भूल जाते है कि देश व ईश्वर का न्याय सबके लिये बराबर है और प्रत्येक धार्मिक व्यक्ति मानता हैं कि कर्मों का फल उसे लोक/परलोक में अवश्य मिलेगा।
नदीम द्वारा लिखित ’’भ्रष्टाचार नियंत्रण’’ पुस्तक 2005 में प्रकाशित हुई है। इसमें भारतीय दंड संहिता की 171 तथा दण्ड प्रक्रिया संहिता की 10 धाराओं का उल्लेख है। नदीम की एल एल.बी. की काॅलेज टाॅपर रही सुपुत्री नीलिमा नदीम एडवोकेट ने इसके नये अपराधिक कानून अपडेट को लिखा है जिसमें इस पुस्तक में उल्लेखित धाराओं से सम्बन्धित नये अपराधिक कानूनों, बी.एन.एस. तथा बी.एन.एस.एस. की धाराओं का तुलनात्मक विवरण हैं।
भ्रष्टाचार नियंत्रण पुस्तक के अध्यायों में भ्रष्टाचार के कारण व हानिया, भ्रष्टाचार नियंत्रण के उपाय, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत सजायें, भारतीय दंड संहिता के अन्तर्गत सजायें, आयकर कानून में भ्रष्टाचारियों के लिये प्रावधान, सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के प्र्रावधान, सरकारी कर्मचारियों पर फौजदारी मुकदमा तथा भ्रष्टाचारियों को सजा कैसे दिलाये अध्याय शामिल है।
अन्य प्रमुख पुस्तकों के समान नदीम की आपराधिक कानून अपडेट सहित यह पुस्तक अमेजाॅन पर देश भर के लोगों के लिये उपलब्ध है।