उत्तराखंड

17 सितंबर को बिहारी महासभा करेगी विश्वकर्मा पूजा का भव्य आयोजन, CM धामी समेत कई राजनेता करेंगे शिरकत, होंगे रंगारांग सांस्कृतिक कार्यक्रम

देहरादून, 11/09/2024

17 सितंबर को बिहारी महासभा करेगी विश्वकर्मा पूजा का भव्य आयोजन, CM धामी समेत कई राजनेता करेंगे शिरकत, होंगे रंगारांग सांस्कृतिक कार्यक्रम

विश्वकर्मा दिवस के लिए तैयारियों में जुटी बिहारी महासभा, 17 सितंबर को होगा भव्य प्रोग्राम, भोजपुरी कलाकार कल्पना करेंगी रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत ।

विश्वकर्मा दिवस कार्यक्रम के लिए बिहारी महासभा ने की बैठक, 17 सितंबर को बिहारी महासभा करेगी विश्वकर्मा पूजा

देहरादून: राजधानी देहरादून में विश्वकर्मा दिवस पर बिहारी महासभा देहरादून के बन्नू स्कूल ग्राउंड में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है। कार्यक्रम को लेकर महासभा के पदाधिकारियों ने बुधवार केओ एक बैठक का आयोजन किया जिसमें कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई। आपको बता दें कि कार्यक्रम का आयोजन 17 सितंबर को विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर सुबह 10:00 बजे से रात 11:00 बजे तक किया जाएगा। प्रोग्राम की शुरुआत सुबह विश्वकर्मा भगवान की पूजा से होगी और शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन भी होगा ।

प्रोग्राम मे मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ-साथ, विधानसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री और प्रदेश के शासन के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों एवं सामाजिक संस्था से जुड़े लोगों को निमंत्रण भेजा गया है। सांस्कृतिक गीतों के लिए भोजपुरी की लोकप्रिय गायिका कल्पना पटवारी को भी बुलाया गया है। इसके अलावा भोजपुरी जगत के कई सिने कलाकार इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों मैं कार्य करने वाले शिल्पकारों को कर्मकारों को सम्मानित भी किया जाएगा।

बिहारी महासभा की बैठक मे महासभा के अध्यक्ष ललन सिंह सचिव चंदन कुमार झा कोषाध्यक्ष रितेश कुमार पूर्व अध्यक्ष सतेंद्र सिंह गोविंदगढ़ मंडल के पूर्व अध्यक्ष विनय कुमार मंडल सचिव गणेश साहनी , अमरेंद्र कुमार, कमलेश कुमार ,धर्मेंद्र ठाकुर ,राजेश कुमार ,शशिकांत गिरी , डी के सिंह ,सुरेंद्र अग्रवाल कार्यकारिणी सदस्य आलोक सिन्हा, एस के सिंहा,सहित सैकड़ों बिहारी महासभा के कार्यकर्ता मौजूद रहे।

बैठक को संबोधित करते हुए अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि-

मान्यताओं के अनुसार कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार में वृद्धि होती है। धन-धान्य और सुख-समृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना आवश्यक और मंगलदायी है। इस दिन उद्योगों, फैक्ट्रियों और मशीनों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विश्वकर्मा पूजा करने से खूब तरक्की होती है और कारोबार में मुनाफा होता है। यह पूजा विशेष तौर पर सभी कलाकारों, बुनकर, शिल्पकारों और औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े लोगों द्वारा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि प्राचीन काल की सभी राजधानियों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। स्वर्ग लोक, सोने की लंका, द्वारिका और हस्तिनापुर भी विश्वकर्मा द्वारा ही रचित हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु प्रकट हुए थे, तो वह क्षीर सागर में शेषशय्या पर विराजमान थे। उनकी नाभि से कमल निकला, जिस पर ब्रह्मा प्रकट हुए, वे चार मुख वाले थे। उनके पुत्र वास्तुदेव थे, जिनकी पत्नी अंगिरसी थीं। इन्हीं के पुत्र ऋषि विश्वकर्मा थे। विश्वकर्मा वास्तुदेव के समान ही वास्तुकला के विद्वान थे। उनको द्वारिकानगरी, इंद्रपुरी, इंद्रप्रस्थ, हस्तिनापुर, सुदामापुरी, स्वर्गलोक, लंकानगरी, शिव का त्रिशूल, पुष्पक विमान, यमराज का कालदंड, विष्णुचक्र समेत कई राजमहल के निर्माण का कार्य मिला था।

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