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लेखक गांव में स्पर्श हिमालय महोत्सव की उपलब्धियां

लेखक गांव में स्पर्श हिमालय महोत्सव की उपलब्धियां

गढ़वाली और कुमाऊनी रचनाकारों का समागम

देहरादून। राज्य के प्रतिष्ठित रचनाकार एक स्थल पर मिले और अनेक कहानियों का स्थानीय बोली में स्थलीय अनुवाद के सत्र में प्रतिभाग किया। शिक्षा मंत्रालय ,भारत सरकार के राष्ट्रीय पुस्तक विन्यास द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम सृजनीय और सराहनीय रहा। गढ़वाल तथा कुमाऊनी रचनाकारों द्वारा कवि सम्मेलन एवं पुस्तक चर्चा एक आकर्षण रहा।

देश विदेश के हिन्दी साहित्यकारों का समागम: देश विदेश के हिन्दी साहित्यकारों का मिलन,चर्चा,विवेचना, तथा एक साथ लेखक गांव में अनेक पुस्तकों का देश की जानी मानी हस्तियों के हाथों से लोकार्पण किया जाना नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित कर गया।

पद्म अलंकृत हस्तियां का गांव में मिलन “राष्ट्रपति भवन” का आभास दिला गया..

लेखक गांव में इन विभूतियों का एक साथ मिलना,पूर्व राष्ट्रपति के साथ बातचीत करना और विभिन्न विषयों पर विचार करते देखन इस लेखक गांव की सराहनीय सोच की दर्शाता है।

लेखक गांव में आध्यात्मिक चिंतकों,साहित्यकारों,चित्रकारों, छायाकारों,राजनेताओं, विधि विशेषज्ञ,वैज्ञानिक,पर्यावरणविद्, शोधार्थियों,छात्र छात्राओं सहित ग्रामीणों और सैलानियों की निरंतरता से प्रतिभाग करना सुखद रहा।

शास्त्रीय तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आकर्षण: गांव में प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मानसिंह, राष्ट्रीय नाट्य अकादमी के कलाकारों, आंचलिक लोक कलाकारों और विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुतियां बेहद खूबसूरत रही।

गांव में मिले शिक्षक और शिक्षार्थी:

महोत्सव में छात्रों,अध्यापकों और कुलपतियों को आमंत्रित कर एक पहल की गई थी । स्थान स्थान पर छात्र और शिक्षकों का संवाद देखने को मिला।

हिन्दी सीखने आए विदेशी छात्रों का लेखक गांव में आगमन:

भारत में विभिन्न देशों से हिंदी सीखने के लिए विदेशी छात्रों का इस अवसर पर शैक्षिक भ्रमण आयोजित किया जाना महत्वपूर्ण दृष्टिकोण बना। लगभग 40 देशों के 120 बच्चों का यहां आना और हिन्दी विषय पर उनके द्वारा अनुभवों को साझा करना कार्यक्रम की वैश्विक स्तर पर स्थापित कर गया।

संक्षेप में स्पर्श हिमालय महोत्सव साहित्य, संगीत, कला,संस्कृति,सौंदर्य, सैर तथा संवाद का सुखद अवसर बन गया।

ये उत्सव सरकारी आयोजनों की औपचारिकताओं से हटकर व्यवहारिक तथा विविधताओं से पूर्ण अभिनव प्रयास है।

स्पर्श हिमालय फाउंडेशन का यह संयोजन पूर्ण रूप से लेखक साहित्यकार डॉ रमेश पोखरियाल “निशंक” की व्यक्तिगत रूचि,सोच उनके व्यवहारिक जीवन,लोगों से संवाद,संबंध और पूरे उत्सव में उनके सक्रिय आतिथ्य और सक्रियता की झलक दिखा रहा था।

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स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024 का समापन समारोह बेहद भावुक होकर लौटे प्रवासी साहित्यकार

आज स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024 का अंतिम दिन अत्यंत गरिमामय और सृजनात्मक उत्साह के साथ मनाया गया। केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के प्रयासों की सराहना की और साहित्यिक प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने हेतु ‘लेखक गाँव’ की स्थापना के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह भारत के लिए स्वर्णिम समय है, जब हम महान ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकते हैं।” इस अवसर पर 15 से अधिक पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम में आरएनटीयू के कुलाधिपति संतोष चौबे आमंत्रित वक्ता रहे। उन्होंने अपने पिता के नाम पर एक पीठ स्थापित करने की घोषणा की और साहित्यिक विकास में अपने योगदान को और प्रबल करने का संकल्प लिया। इस आयोजन में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा भी उपस्थित रहे, जिन्होंने डॉ. निशंक के शिक्षा और विकास के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों की प्रशंसा की, जो उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री के रूप में किए थे।

उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने भी महोत्सव को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “कलम तलवार से अधिक शक्तिशाली है, और लेखक गाँव से प्रकाशित होने वाली ये पुस्तकें राष्ट्र निर्माण में सहायक होंगी।”

इस पांच दिवसीय आयोजन में देश-विदेश के विभिन्न स्थानों से प्रतिष्ठित लेखक, विद्वान और शिक्षाविदों ने भाग लिया। संकल्प फाउंडेशन के अध्यक्ष संतोष तनेजा ने समारोह की अध्यक्षता की और आयोजकों, अतिथियों तथा प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए महोत्सव की सफलता की कामना की।

स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024: डॉ. निशंक की प्रेरणा से सजी ज्ञान और सृजन की दिवाली

स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024 का पांच दिवसीय आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जिसने साहित्य, संस्कृति, और पर्यावरण के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ। इस महोत्सव के पीछे डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी का अप्रतिम योगदान और प्रेरणा है, जिनके नेतृत्व में ‘लेखक गाँव’ का सपना साकार हुआ।

महोत्सव के आरंभ में सभी अतिथियों ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण की अपनी प्रतिबद्धता को प्रकट किया। इस दौरान परमात्मा निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने डॉ. निशंक को नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया और कहा कि उन्होंने दीवाली से पहले ही ज्ञान और सृजन की ‘पुस्तकों की दिवाली’ को साकार कर दिया है। स्वामी जी ने उनके द्वारा शुरू की गई ‘स्पर्श गंगा’ पहल की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की, जो पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का परिचायक है। कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी रविंद्र बेलवाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय लोगों का बड़ा सहयोग रहा ।

पांच दिवसीय इस आयोजन में देश-विदेश के विश्वविद्यालयों से विशेष प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस अद्वितीय महोत्सव का साक्षात्कार किया और इसे एक अविस्मरणीय अनुभव बताया। इस महोत्सव के दौरान पंद्रह से अधिक पुस्तकों का विमोचन किया गया, जो लेखक गाँव के उद्देश्य को और भी अधिक सशक्त बनाता है।

डॉ. निशंक की इस पहल ने साहित्य प्रेमियों और नवोदित लेखकों को एक ऐसा मंच प्रदान किया है, जहाँ वे अपनी रचनात्मकता को साकार कर सकते हैं। उनके द्वारा स्थापित ‘लेखक गाँव’ न केवल भारत की सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर को संरक्षित करेगा, बल्कि युवा पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा।

इस महोत्सव ने यह साबित कर दिया कि डॉ. निशंक जैसे व्यक्तित्व के नेतृत्व में भारत अपने साहित्यिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संजोते हुए नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने में सक्षम है।

डॉ. निशंक ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि ‘लेखक गाँव’ भारत की साहित्यिक धरोहर को सहेजने और नई पीढ़ी के लेखकों को मंच प्रदान करने का एक अनूठा प्रयास है।

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