उत्तराखंड

ग्रामीणों की भूमि से सेना का विवादित कब्जा हटाने को जन संघर्ष मोर्चा की शासन में दस्तक

ग्रामीणों की भूमि से सेना का विवादित कब्जा हटाने को जन संघर्ष मोर्चा की शासन में दस्तक

देहरादून – रायपुर विकासखंड के सैकड़ों वर्ष पुराने बसे केसरवाला गांव (वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र) में सेना द्वारा नॉन-जेड-ए भूमि पर लगभग 100-120 वर्षों से कथित नाजायज कब्जे और ग्रामीणों को सड़क व अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखने के मामले में जन संघर्ष मोर्चा ने शासन का रुख किया है।

मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन प्रमुख सचिव (मुख्यमंत्री) आर.के. सुधांशु को सौंपा। सुधांशु ने सचिव, राजस्व को मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए।

नेगी ने बताया कि गांव की आबादी को जोड़ने वाली सड़क को सेना अपनी संपत्ति बताती है, जबकि राजस्व अभिलेखों में उक्त भूमि पर सेना का स्वामित्व दर्ज नहीं है। वर्ष 1904 में 972.22 एकड़ तथा 1940 में 244.139 एकड़ भूमि सेना ने अधिग्रहित की थी, लेकिन शेष भूमि आज भी किसानों के नाम दर्ज है। इसी भूमि पर कब्जा कर सेना ग्रामीणों को परेशान कर रही है।

उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि सेना के पास इस अधिग्रहण से जुड़े कोई प्रमाणिक दस्तावेज नहीं हैं, और रक्षा संपदा विभाग भी 7 जून 2012 को स्पष्ट कर चुका है कि खसरा नंबर 318, 340 और 341 से संबंधित कागजात सेना के पास नहीं हैं।

24 मई 2024 को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में संबंधित विभागों की बैठक भी हुई, लेकिन समाधान नहीं निकला। सेना द्वारा भी ग्रामीणों की पीड़ा को देखते हुए कोई हल निकालना चाहिए था, लेकिन कोई कोई सुनने वाला नहीं है |ग्रामीण वर्षों से प्रयासरत हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। मोर्चा को भरोसा है कि समस्या का स्थाई समाधान निकलेगा |

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