राजनीति

विस भर्ती घोटालाः तो छणिक वाहवाही की चाह बनी ‘फजीहत’

 “सांप भी मरा नहीं और टूट गई लाठी”

बर्खास्तगी से पहले नहीं ली कोई विधिक राय

हाईकोर्ट में कैवियट लगाने से भी किया परहेज

और तीसरे स्तंभ ने दे दी दीपावली की सौगात

नियुक्तियां करने वाले नेताओं की भी है मौज

देहरादून। सीएम पुष्कर सिंह धामी की तरह धाकड़ बल्लेबाजी कर वाहवाही लूटने को मैदान में उतरीं स्पीकर रितू खंडूड़ी को छणिक वाहवाही मंहगी पड़ गई है लगता है। उन्होंने बगैर होमवर्क किए जिन लोगों को नौकरी से निकाला वो सब हाईकोर्ट के आदेश पर फिर ज्वाइन कर चुके हैं। साफ दिख रहा है कि बगैर होमवर्क किए ही लिया गया ये फैसला अब उनकी फजीहत ही करा रहा है।

एक कहावत है कि न सांप मरा और न लाठी टूटी। लेकिन विस भर्ती मामले में यह कहावत भी गलत ही साबित हो रही है। स्पीकर रितु खंडूड़ी ने आनन-फानन में एक कमेटी बनाई और तमाम लोगों को नौकरी से बाहर कर दिया। ऐसा करके उन्होंने बहुत वाहवाही लूट ली। माना जा रहा है कि उनकी कोशिश सीएम धामी की तरह ही धाकड़ बल्लेबाजी करने की थी।

लेकिन ऐसा हो नहीं सका। स्पीकर ने बगैर किसी होमवर्क के ही छणिक वाहवाही लूटने के लिए ये आदेश जारी कर दिया। न तो ये होमवर्क किया गया कि उनका ये आदेश हाईकोर्ट में कितना टिक पाएगा और न ही कैवियेट लगवाकर ऐसा कुछ किया कि आदेश से पहले विधानसभा का पक्ष भी सुना जाए।

सवाल यह भी है कि जब 2001 से 2012 तक की नियुक्तियों के बारे में में स्पीकर विधिक राय ले रही हैं तो इन नियुक्तियों को निरस्त करने से पहले विधिक राय क्यों नहीं ली गई। क्या विधानसभा किसी काबिल अधिवक्ता या फिर सरकारी अधिवक्ता से राय नहीं ले सकती थीं। बताया जा रहा है कि अति सियासी महत्वाकांझा के चलते ही ये फैसला लिया गया। किसी ने सलाह दी कि नियुक्तियां निरस्त कर दो तो वाहवाही हो जाएगी। अब उस सलाहकार को बताना होगा कि स्पीकर की इस फजीहत का जिम्मेदारी किसकी होगी।

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