…तो ‘समर कैपिटल’ में होगी नए मंत्रियों की शपथ !
पिछले सत्र में त्रिवेंद्र ने किया था ग्रीष्मकालीन राजधानी एलान
गैरसैंण पर जनभावनाओं की कद्र कर रही सरकार
तमाम विकास कार्यों की सीएम कर चुके है घोषणा
देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार गैरसैंण को लेकर जनभावनाओं के सम्मान की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। पिछले सत्र में गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी का अचानक एलान करके सभी को चौंकाने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार भी कुछ नया कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि अगर सब ठीक रहा को गैरसैंण में ही मंत्रिमंडल का विस्तार करके नए मंत्रियों को समर कैपिटल में ही शपथ दिलाई जा सकती है।
राज्य आंदोलन के समय से ही गैरसैंण में स्थायी राजधानी का मुद्दा चल रहा है। यह अलग बात है कि बीस सालों पर भाजपा औऱ कांग्रेस की सरकारों ने जनभावनाओं से जुड़े इस अहम मुद्दे को कोई खास तरजीह नहीं दी। दोनों ही सियासी दलों के लिए यह मुद्दा बस चुनावी जुमलों तक ही सीमित रहा था। कांग्रेस शासन में पहले विजय बहुगुणा और फिर बाद में हरीश रावत ने गैरसैंण में निर्माण करवाया और विस के सत्र भी आयोजित भी किए। लेकिन कोई भी राजधानी के मुद्दे पर कोई एलान नहीं कर सका। पिछले दिनों पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपनी इस चूक को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार भी किया था।
पिछले मार्च में बजट सत्र गैरसैंण में ही आहूत किया गया था। सत्र के दौरान ही सदन में एक चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अचानक ही एलान कर दिया कि गैरसैंण उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी होगी। इस एलान को करते समय त्रिवेंद्र खासे भावुक भी हो गए थे। यह एलान करके त्रिवेंद्र ने उत्तराखंड के सियासी इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया। इसके बाद त्रिवेंद्र ने गैरसैंण में ई-सचिवालय समेत अन्य तमाम विकास कार्यों की न केवल घोषणा की। बल्कि धन स्वीकृत करके निर्माण भी शुरू कराया।
सूत्रों का कहना है कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह एक मार्च से गैरसैंण में शुरू हो रहे बजट सत्र के दौरान भी कुछ ऐसा कर सकते हैं, जिससे अवाम में यह संदेश जाए कि सरकार को गैरसैंण पर जनभावनाओं का खासा ख्याल है। बताया जा रहा कि सीएम अपनी कैबिनेट एक्सपेंशन का एलान गैरसैंण में ही करके वहीं पर नए मंत्रियों को शपथ भी दिला सकते हैं। वैसे भी दिल्ली के वापसी के बाद मंत्रिमंडल विस्तार का मुद्दा खासा गर्म है और विगत दिवस 17 नेताओं को सरकारी दायित्व देकर सीएम ने यह संदेश दिया है कि अब विधायकों की बारी है।