राजनीति

रास प्रत्याशीः नाम पर प्रदेश भाजपा मौन !

स्थानीय नेता बनाम पैराशूट प्रत्याशी के बीच चल रही ‘जंग’

दावेदारी में पीछे नहीं हैं प्रदेश के नेता

कई बाहरी नेताओं के नाम भी फ़िजा में

देहरादून। राज्यसभा की एक सीट के होने वाले चुनाव में संख्याबल के आधार पर भाजपा की जीत तय है। इसके बाद भी प्रत्याशी के नाम पर प्रदेश भाजपा मौन है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि फिलवक्त स्थानीय नेताओं और पैराशूट प्रत्याशी के बीच जंग चल रही है। सूबे के कई नेताओं ने इस कुर्सी के लिए पूरी ताकत लगा रही है। लेकिन पैराशूट प्रत्याशियों के नाम भी सियासी फ़िजा में तैर रहे हैं।

उत्तराखंड की एक राज्यसभा सीट के चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। 27 अक्टूबर को नामांकन पत्र जमा होंगे और 28 को जांच के बाद दो नवंबर तक नाम वापसी का कार्य़क्रम है। जरूरत होने पर नौ नवंबर को वोट डाले जाएंगे। यह चुनाव विधायकों को करना है। ऐसे में विधानसभा में संख्या बल के आधार पर भाजपा की जीत तय है। लेकिन प्रदेश भाजपा ने अपने प्रत्याशी के बारे में कोई फैसला नहीं किया है। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने सिर्फ इतना कहा कि प्रत्याशी हाईकमान ही तय करेगा।

सुनिश्चित जीत के बीच अब चर्चा इस बात पर हो रही है कि कांग्रेस की तरह से ही भाजपा भी किसी बाहरी नेता को राज्यसभा भेजेगी या फिर किसी स्थानीय नेता को यह मौका दिया जाएगा। स्थानीय नेताओं की बात की जाए तो पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व सांसद बलराज पासी, पूर्व महामंत्री (संगठन) और बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वन समिति के उपाध्यक्ष नरेश बंसल, वरिष्ठ भाजपा नेता गैरोला ज्योति प्रसाद गैरोला का नाम तेजी से चल रहा है। इनमें से कुछ नेता तो संघ और भाजपा हाईकमान तक अपने-अपने अंदाज में पैरोकारी भी कर रहे हैं। यह तर्क भी दिया जा रहा है कि बाहरी नेता उत्तराखंड के हितों की बेहतर पैरोकारी नहीं पाएंगे। कांग्रेस के राजबब्बर का उदाहरण दिया जा रहा कि छह साल में वे छह बार भी न तो उत्तराखंड आए और न ही रास में उत्तराखंड के विषय में कोई चर्चा ही की।

दूसरी ओर बाहरी नेताओं में अब तक भाजपा के प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू का ही नाम चल रहा था। लेकिन अब मध्य प्रदेश के कैलास विजयवर्गीय और हरियाणा में प्रदेश महामंत्री (संगठन) का काम कर रहे उत्तराखंड निवासी सुरेश भट्ट का नाम भी तेजी से सियासी फ़िजा में तैर रहा है। माना जा रहा है कि भाजपा हाईकमान ऐन मौके पर ही अपने प्रत्याशी के नाम का एलान करेगा। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने दिल्ली दौरे के दौरान हाईकमान को इस बारे में अपनी राय भी देंगे।

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