एक्सक्लुसिव

विरोध का प्रतीक तो नहीं ‘पलायन’ !

गैरसैंण में विस सत्र छोड़कर ‘गायब’ हो गए थे मंत्री और तमाम विधायक

चौथे रोज तो कोरम पूरा होने के पड़े लाले

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। भराड़ीसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी का एलान होने के अगले रोज ही भाजपा सरकार के तमाम मंत्री और विधायक वहां से पलायन सा कर गए। हालात ये बने कि सत्र के चौथे रोज भोजनावकाश के बाद सत्र शुरू होने पर कोरम पूरा होने के लाले से पड़ गए। भराड़ीसैंण के सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज रही कि कहीं ये पलायन ग्रीष्मकालीन राजधानी के विरोध का प्रतीक तो नहीं है।

भराड़ीसैंण में सत्र के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा की। इसके बाद वहीं पर होली और दीवाली के साथ जश्न मनाया गया। इसके बाद से ही विधायकों और मंत्रियों ने भराड़ीसैंण छोड़ना शुरू कर दिया। इन लोगों ने इस बात की भी परवाह नहीं की कि सत्र चल रहा है। हालात ये बने छह मार्च को भोजनावकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो कोरम पूरा होने के लाले पड़ गए। विधायकों के फ्लैट में दौड़ लगवाई गई कि जल्दी चलिए कोरम पूरा नहीं हो रहा है। किसी तरह से कोरम पूरा हुआ।

पांचवे दिन का नजरा तो और भी गजब का था। सदन में संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक के अलावा कोई दूसरा मंत्री नहीं था। भाजपा के एक तिहाई भी कम यानि महज 17 विधायक सदन में दिखाई दिए। इसके बाद से ही यह चर्चा तेज हो गई कि क्या सत्र से इन लोगों का अचानक पलायन ग्रीष्मकालीन राजधानी का प्रतीकात्मक और अघोषित विऱोध तो नहीं था। शायद यही वजह रही कि भाजपा संगठन ने सदन से गैरहाजिर हो गए विधायकों और मंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी करने की बात की है।

मौजूद रहे कांग्रेस के सभी 11 विधायक

इस मामले में एक अहम बात यह रही कि नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा ह्रदयेश समेत कांग्रेस के सभी विधायक सदन स्थगित होने तक मौजूद रहे। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या भाजपा के विधायकों और मंत्रियों को ज्यादा ठंड लगती है।

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