कांग्रेसः मिली करारी ‘हार’, फिर भी ‘रार’ से नहीं इंकार
टीम हरदा के निशाने पर अब प्रदेश प्रभारी
हरीश के इशारों को जुबां दे रहे सिपहसालार
हार के लिए देवेंद्र को ही बता रहे जिम्मेदार
देहरादून। कांग्रेस देश के तमाम राज्यों के समान ही उत्तराखंड में करारी हार झेल चुकी है। इसके बाद में कांग्रेस में वर्चस्व की जंग जारी है। हरीश रावत अभी भी अन्य नेताओं से ज्यादा सक्रिय है। अब टीम हरदा ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को निशाने पर ले लिया है। टीम के सिपहसालार कह रहे हैं कि पार्टी की इस करारी हार के लिए प्रभारी ही जिम्मेदार हैं और उन्हें इस पद से हटाया जाना चाहिए।
चुनावी दौर में कांग्रेस सत्ता में आने का हसीन ख्वाब देखती रही। यही वजह रही कि टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार तक में कांग्रेस दो खेमों में बंट गई। एक तरफ हरीश रावत मुख्यमंत्री पद की दावेदारी का खुला इजहार करने से हिचक नहीं रहे थे तो दूसरा गुट उन्हें दरकिनार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था। हालात ये बने कि टिकट बंटवारे में पैसों के लेन-देन के भी खूब आरोप लगे। शायद कांग्रेसी नेताओं की इन्हीं हरकतों की वजह से सूबे के अवाम ने भरोसा नहीं किया और सत्ता भाजपा को सौंप दी।
माना जा रहा था कि इस करारी हार से कांग्रेस के नेता कुछ सबक लेंगे और भाजपा के सामने एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। लेकिन हुआ इसके एकदम विपरीत। हरदा की ओर से सोशल मीडिया में इशारों में बताया गया कि कांग्रेस किन लोगों की वजह से हारी। दूसरी ओर से कोई सीधा प्रहार तो नहीं किया गया पर नेता प्रतिपक्ष पद हरदा के हिस्से में न जाने देने की कवायद शुरू हो गई। नतीजा यह रहा कि विस का पहला सत्र बगैर नेता प्रतिपक्ष के ही गुजर गया।
बताया जा रहा है कि हरीश गुट इससे और भी नाराज हो गया। और सीधे तौर पर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर ही हमला बोल दिया। हरदा ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर जो बात इशारों में कही, उसे हरदा ने सिपहसालारों ने जुबां दे दी। पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल और पूर्व मंत्री दुर्गापाल ने तो साफ कहा कि इस हार के लिए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ही जिम्मेदार हैं। यादव ने हरीश रावत को सीएम बनने से रोकने के लिए ही तमाम ऐसे काम किए, जिनकी वजह से कांग्रेस को इतनी बुरी तरह की हार झेलनी पड़ी। इसके अलावा हरदा के कुछ बेहद खास लोग भी इसी अंदाज में फेसबुक पोस्ट डाल रहे हैं। इनका कहना है कि यादव को तत्काल प्रदेश प्रभारी के पद से हटाना चाहिए।
साफ दिख रहा है कि कांग्रेस ने इस करारी हार से कोई सबक नहीं लिया है और बची खुची कांग्रेस पर कब्जा करने की होड़ जारी है। अब ये नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पदों पर नियुक्तियों के एलान से ही साफ होगा कि वर्चस्व की जंग में जीत हरदा के हाथ आती है या फिर दूसरे गुट के।