राजनीति

और ‘एक्शन मोड’ में मुख्यमंत्री तीरथ

18 मार्च को प्रस्तावित चार सालाना जश्न किया स्थगित

विभागीय अफसरों ने करोड़ों रुपये किए खर्च

नया सीएम बनने के बाद भी जारी रहा खेल

देहरादून। नए मुख्यमंत्री को महज एक चेहरा समझने वाले दिग्गजों को तीरथ सिंह रावत ने दो रोज में ही नसीहत दे दी है। भाजपा सरकार को चार सालाना जश्न पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। अब देखना यह होगा कि इस जश्न को लेकर करोड़ों रुपये खर्च करने की सलाह देने वाले अफसर का क्या होगा। अहम बात यह भी है कि नए सीएम के शपथ लेने के बाद भी एक अफसर जश्न के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च चुका था।

18 मार्च को पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत चार साल पूरे कर लेते। इसके लिए प्रदेशभर में जश्न की तैयारी थी। आलम यह था कि हर विस में होने वाले जश्न के लिए कांग्रेसी विधायकों को भी जिम्मेदारी देने का गजब आदेश उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी ने कर दिखाया था। उस समय भी सवाल उठा था कि आखिरकार कांग्रेसी विधायक त्रिवेंद्र सरकार की उपलब्धियां क्यों गिनाएं। लेकिन एक छोटे बाबू ने सत्ता में अपनी हनक के चलते ये आदेश भी जारी करवा दिया।

सियासी हालात बदले और त्रिवेंद्र पूर्व हो गए और सत्ता हाथ आई एक सांसद तीरथ के हाथ। इसके बाद भी अफसरशाही के अपना गेम जारी रखा और कहा कि 18 का जश्न यथावत रहेगा। और ये भी कहा कि डोईवाला में होने वाला महाजश्न अब रायपुर में होगा। इस बीच एक चर्चित अफसर अपना गेम कर चुका था। बताया जा रहा है कि यह मामला सीएम तीरथ के संज्ञान में आय़ा तो वो तत्काल एक्शन में आए। उन्होंने साफ कर दिया कि चार का कोई जश्न नहीं होगा। इस बारे में मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने अपने 12 मार्च के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि अब कोई जश्न नहीं होगा। सवाल यह है कि अफसरशाही ने ऐसा क्यों किया। निवर्तमान सीएम त्रिवेंद्र की योजना पर नए सीएम की शपथ के बाद भी करोड़ों रुपया क्यों खर्च किया गया। तीरथ के इस फैसले से उन अफसरों को समझ जाना चाहिए कि अब सरकारी पैसे का और दुरुपयोग और नहीं हो सकेगा।

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