देवभूमि में ‘आप’ को दिख रहा सियासी भविष्य

कुमाऊं में जनसमर्थन से उत्साहित मनीष अब गढ़वाल के दौरे पर
देहरादून। आम आदमी पार्टी (आप) को उत्तराखंड में अपना सियासी भविष्य नजर आ रहा है। केजरीवाल के कमांडर मनीष सिसोदिया ने अपने दो दिवसीय कुमाऊं दौरे में शायद इसे भांप लिया है। यही वजह है कि मनीष गढ़वाल के इस सर्द मौसम को सियासी तौर पर गर्म करने के इरादे से दो दिवसीय प्रवास पर आ रहे हैं।
पिछले कुछ माह में आप से उत्तराखंड की सरजमी पर अपने अंदाज में पांव जमाने की कोशिश की है। पहले तो प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया बैटिंग करते रहे। लंबी कवायद के बाद जब लगा कि यहां कुछ मिल सकता है तो तमाम लोगों को जिनमें पूर्व नौकरशाह आईएएस सुबदर्न और पूर्व आईपीएस अनंत राम चौहान को पार्टी में शामिल किया। इसके बाद आप मुखिया अरविंद केजरीवाल ने अपने कमांडर और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को मैदान में उतार दिया। मनीष का दो दिवसीय कुमाऊं दौरा सियासी तौर पर खासा सफल माना जा सकता है। खास तौर पर काशीपुर में जिस अंदाज में उनके स्वागत को भीड़ उमड़ी उससे मनीष को खासा सियासी बल मिला। हल्द्वानी में उनका कार्यक्रम भी खासा सफल रहा।
सूत्रों का कहना है कि कुमाऊं दौरे के बाद मनीष ने आप मुखिया जो रिपोर्ट दी है, उसमें कहा गया है कि उत्तराखंड की देवभूमि में आप को खासी सफलता मिल सकती है। इसके बाद केजरीवाल ने मनीष को गढ़वाल का दौरान करने को कहा है। मनीष 18 और 19 दिसंबर को हरिद्वार और देहरादून में कई कार्यक्रमों में शिरकत करने वाले हैं। माना जा रहा है कि इस दौरान वे यह तलाशने की कोशिश करेंगे कि आप को 2022 के विस चुनाव में क्या हासिल हो सकता है।
अहम बात यह भी है कि आप की उत्तराखंड में सक्रियता से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही चिंतित हैं। दोनों ही दलों की ओर से आप पर सियासी हमले शुरू कर दिए गए हैं। भाजपा और कांग्रेस के नेता यह बताने की कोशिश में हैं कि आप को यहां कुछ मिलने वाला नहीं नहीं है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अगर आप से किसी को खतरा ही नहीं है तो भाजपा और कांग्रेस क्यों आप पर हमला करके उसे सियासी तव्वजो दे रहे हैं।

आप नेता दीपक बाली कहते हैं कि दोनों सियासी दलों को यह समझ में आ गया है कि आम आदमी पार्टी 2022 के चुनाव में जनता को साथ लेकर उन्हें सबक सिखाने वाली है। जनता की समझ में आ गया है कि भाजपा और कांग्रेस पिछले बीस सालों से मिलीभगत करके सत्ता पर कब्जा जमा रहे हैं। 2022 के चुनाव में इस देवभूमि की जनता इन दोनों ही दलों को उसी तरह से हाशिए पर डाल देगी, जिस तरह से उक्रांद को फेंक दिया है।