राजनीति

कांग्रेस में उतनी आसान नहीं है हरक सिंह की एंट्री, जितना समझा जा रहा है

देहरादून। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह भले ही कांग्रेस में जाने की बात कह रहे हों, पर यह उनके लिए पहले जितना आसान टास्क नहीं है। वो इसलिए भी क्योंकि, हरीश रावत ही नहीं बल्कि कांग्रेस में उन विधानसभा क्षेत्रों में भी हरक सिंह का विरोध हो रहा है, जहां से वो अपने लिए टिकट मांग रहे हैं। वहीं, उनको कांग्रेस में आने से रोकना पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए भी राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

कई माह से यही अटकलें लगाई जा रही थीं कि हरक सिंह कांग्रेस में वापस जा रहे हैं। हालांकि हरक सिंह ने बीच-बीच में कांग्रेस में जाने की संभावना से इनकार किया था। उनके बयानों को लेकर भाजपा को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था, जैसा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार सुबह एक बयान में यह बात कही भी। चुनाव के वक्त किसी और असहज स्थिति का सामना करने से बच रही भाजपा ने हरक सिंह रावत को पार्टी से निष्कासित कर दिया।

निष्कासन के बाद हरक सिंह भले ही कांग्रेस में जाने की बात कह रहे होंं, पर अब उनकी कांग्रेस में एंट्री उतनी आसान नहीं है, जितना कि भाजपा और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर रहने के दौरान समझी जा रही थी। हरक सिंह कोटद्वार के अलावा अन्य सीटों पर टिकट के लिए भाजपा पर दबाव बना रहे थे। भाजपा में रहते हुए पुत्रवधु के लिए लैंसडौन से टिकट की मांग कर रहे थे। इससे वहां भाजपा विधायक दिलीप रावत ने नाराज होकर हरक सिंह के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया था। चुनाव मैदान में खड़ी भाजपा में यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जा रही थी।

कुछ दिन पहले तक हरक सिंह रावत की मान मनौव्वल कर रही भाजपा ने अचानक चुनावी दौर में उनसे हाथ छुड़ाने का फैसला कर लिया। अब इस समय हरक सिंह न तो भाजपा में हैं और न ही उनकी कांग्रेस में एंट्री हो पाई है। सवाल यह है कि कांग्रेस में उनकी एंट्री कौन कराएगा और कौन उनका विरोध करेगा।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लगातार उन नेताओं का विरोध करते आए हैं, जिन्होंने 2016 में उनकी सरकार को संकट में डालकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। रावत ने कुछ माह पहले यशपाल आर्य की कांग्रेस में वापसी के बाद यह कहा था कि उनकी सरकार को संकट में डालने वालों को कांग्रेस में तभी एंट्री मिलेगी, जब वो माफी मांगेंगे।

अब जब हरक सिंह रावत भाजपा से बाहर हैं और कांग्रेस में आने की इच्छा यह कहकर व्यक्त कर रहे हैं, मैं अब कांग्रेस पार्टी से बात करूंगा और उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार पूर्ण बहुमत से आने वाली है। मैं अब कांग्रेस से बातचीत करूंगा और मैं कांग्रेस में ही जाऊंगा और किसी पार्टी में नहीं जाऊंगा और बिना शामिल हुए भी मैं कांग्रेस के लिए काम करूंगा। ऐसे में उनकी कांग्रेस में एंट्री को पहले जितना आसान नहीं माना जा रहा है। इससे यह साफ है कि उनको राजनीतिक भविष्य संकट में दिख रहा है। हालांकि उनके पास आम आदमी पार्टी में जाने या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने का विकल्प है।  पर, यह आम आदमी पार्टी पर निर्भर करेगा कि वो उनकी एंट्री कराए या नहीं।

निष्कासन के बाद ही संभावना जताई जा रही है कि हरक सिंह कांग्रेस में एंट्री करेंगे, लेकिन कांग्रेस में आने की संभावनाओं पर ही उनका विरोध शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, 2016 में उनकी सरकार को संकट में डालने वाले विधायकों को महापापी बताते हैं। उनका कहना है, जब तक ये लोग सार्वजनिक रूप से अपनी गलती मानते हुए माफी नहीं मांगते, तब तक मैं कांग्रेस में उन्हें वापस लेने के पक्ष में नहीं हूं। जब तक कांग्रेस के साथ निष्ठा से खड़े होने की बात स्वीकार नहीं करते हैं, तब तक ऐसे लोगों को कांग्रेस में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

माना जा रहा है कि यदि हरक सिंह की कांग्रेस में एंट्री हो जाती है तो कांग्रेस के अलग-अलग जिलों के नेता और कार्यकर्ता उनका विरोध करेंगे, इस बात की पूरी संभावना है। ऐसे में कांग्रेस कोई भी कदम बड़ा सोच समझकर ही उठाएगी। वहीं, उन सीटों पर, जहां से हरक सिंह टिकट की मांग कर रहे हैं, वहां पहले से ही काम कर रहे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी कांग्रेस को झेलनी पड़ेगी।

अब हरक सिंह की कांग्रेस में एंट्री को रोकना पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की राजनीतिक प्रतिष्ठा से जुड़ा सवाल भी है। देखना यह है कि क्या हरीश रावत अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा को बचा पाते हैं या फिर हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button