तस्वीर का सच

दून के अफसरों को नहीं मिल रहे मुंबई से खत

अभी भी उत्तराखंड लौटने की राह तक रहे हैं 1200 से अधिक प्रवासी

आजिज आकर समाजसेवी संस्था ने खोली पोल

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। साइबर दुनिया के इस दौर पर मुंबई से भेजे जा रहे खत राजधानी देहरादून के जिम्मेदार अफसरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। नतीजा यह है कि 1200 से अधिक उत्तराखंडी आज भी मुंबई से अपने घर लौटने के इंतजार में हैं। दून के अफसरों और नेताओं के रुख से आजिज समाजसेवी संस्था के लोग अब सोशल मीडिया में आकर उत्तराखंड सरकार को जगाने की अपील कर रहे हैं।

लॉकडाउन के बाद सामने आया कि मुंबई में उत्तराखंड के लगभग छह हजार प्रवासी फंसे हुए हैं। वहां रह रहे उत्तराखंड मूल के लोगों ने इन सभी के खाने-पानी का इंतजाम कराया और इनका पूरा डॉटा तैयार किया। इन लोगों को उत्तराखंड वापस भिजवाने के लिए महाराष्ट्र और उत्तराखंड सरकार के साथ काम किया। मुंबई से तीन ट्रेन उत्तराखंड आ चुकी है। मई अंतिम सप्ताह में लगभग 1200 लोगों का और डॉटा शेष है। इन्हें अभी तक वापस नहीं लाया जा सका है।

मुंबई में इन लोगों की मदद करने वाली संस्था की वरिष्ठ सदस्या श्वेता मासीवाल ने आज फेसबुक लाइव करके जो बताया है, वह बहुत ही चौंकाने वाला। श्वेता का कहना था कि काबीना मंत्री आदित्य ठाकरे की पहल पर महाराष्ट्र के अफसर पूरी मदद कर रहे हैं। वहां से तमाम पत्र मेल के जरिए उत्तराखंड के अफसरों को भेजे गए हैं। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। बमुश्किल फोन पिक हुआ तो जवाब दिया गया कि उन्हें कोई पत्र नहीं मिला है। इस लाइव में उत्तराखंड के सांसदों, विधायकों के साथ ही मुख्यमंत्री को भी सवालों के घेरे में लिया गया है।

बताया जा रहा है कि इन फंसे लोगों के पास न खाने के पैसे हैं और किराए के लिए रकम। ऐसे में उत्तराखंड सरकार ही इनकी मदद कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि प्रवासियों को लाने की जिम्मेदारी संबंधित सरकार की ही है। इसके बाद भी उत्तराखंड के अफसर अगर महाराष्ट्र सरकार से कोई पत्र न मिलने की बात करके अपना पल्ला झाड़ रहे हैं तो क्या होगा, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है।

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