सवालः क्या अपने ही फैसले को पलटेगी मोदी और शाह की जोड़ी ?
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। दिल्ली विस चुनाव का नतीजा आने के बाद जहां भाजपा हाईकमान मंथन में जुटा है। वहीं उत्तराखंड में मुख्यमंमत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विरोधी खेमे में सक्रियता बढ़ गई है। सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि अगर भाजपा को 2022 में दिल्ली जैसी हार का सामना नहीं करना है तो मुख्यमंत्री को बदला जाना चाहिए। ऐसे में एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि मोदी और शाह अपने ही फैसले को उत्तराखंड में पलटेंगे। इसे समझने के लिए हरियाणा और महाराष्ट्र के हालात पर नजर डालना समीचीन हो सकता है।
तमाम कोशिशों के बाद भी दिल्ली में भाजपा को करारी हार का सामना पड़ा है। चुनाव के बाद सामने आए एग्जिट पोल के नतीजे ही वास्तविक नतीजों में तब्दील हुए हैं। तस्वीर साफ होने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के विरोधी खासे सक्रिय हो गए हैं। एग्जिट पोल सामने आने के बाद से सोशल मीडिया में सीएम त्रिवेंद्र पर हमले हो रहे हैं। अब इसमें और भी तेजी आ गई है। इन लोगों को 2022 के चुनाव की चिंता सता रही है। कहा जा रहा है कि अगर मौजूदा नेतृत्व में ही भाजपा चुनाव में जाती है तो नतीजा दिल्ली जैसा ही हो सकता है। इसी तरह की बातों से सोशल मीडिया भरा हुआ है।
अब सवाल यह खड़ा हो रहा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि त्रिवेंद्र की ताजपोशी इन्हीं दोनों की वजह से हुई तरह से हुई थी, जैसी कि हरियाणा में खट्टर और महाराष्ट्र में फणनवीस की हुई थी। इन दोनों का भी अंदरखाने बहुत बहुत विऱोध था। लेकिन दोनों ने अपने पांच साल पूरे किए। हरियाणा में जजपा के साथ गठबंधन में बनी सरकार के मुखिया का दायित्व भी खट्टर को ही दिया गया। महाराष्ट्र में फणनवीस को ही मुख्यमंत्री बनाने की जिद के चलते भाजपा ने शिवसेना के साथ संभावित सरकार को भी दरकिनार कर दिया। अब देखने वाली बात यह होगी कि उत्तराखंड के बारे में नई भाजपा की यह सबसे प्रभावी जोड़ी क्या रुख अपनाती है।