एक्सक्लुसिव

देश के एम्स की सुविधाएं तो बस ऊंट के मुंह में जीरा

10 प्रमुख अस्पतालों में हैं महज सवा चार सौ बेड ही

चार एम्स ने नहीं दिया आरटीआई का जवाब

यूपी के दो एम्स तो अभी भी हैं निर्माणाधीन

बंगाल एम्स में शुरू नहीं किया गया अस्पताल

देहरादून। देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की बात होने पर सबसे पहले एम्स (अखिल भारतीय आर्य़ुविज्ञान संस्थान) का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार देश के इन संस्थानों की स्वास्थ्य सुविधाएं महज ऊंट के मुंह में जीरा ही हैं। हालात ये हैं किस देश के 10 प्रमुख एम्स के पास महज 4,214 बेड्स की ही क्षमता है। इनमें से 382 और 309 बेड वेंटिलेटर सुविधा वाले ही हैं। यूपी के दो एम्स अभी निर्माणाधीन हैं तो बंगाल के एक एम्स में अस्पताल अभी शुरू नहीं हो सका है।

कोविड महामारी के इस दौर में देश की स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खुल रही है। हालात इशारा कर रहे हैं कि पिछले साल आई कोविड की पहली लहर के बाद भी सिस्टम सोता रहा और सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में महज आदेश ही जारी होते रहे। अहम बात यह भी है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुविधाओं की बात आने पर आज भी देश के अवाम का भरोसा एम्स पर ही है। ऐसे में इन एम्स के बारे में पूरी जानकारी के लिहाज से काशीपुर निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट नदीम उद्दीन ने देशभर के 15 एम्स से वहां उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी मांगी।

विभिन्न एम्स से नदीम को मिली जानकारी के अनुसार देश के 10 एम्स की कुल क्षमता 4214 है। इसमें 382 आईसीयू तथा 309 वेंटिलेटर बेड शामिल है। उत्तराखंड के एम्स ऋषिकेश, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर, मध्य प्रदेश के भोपाल और छत्तीसगढ़ के रायपुर ने अपील के बाद भी सुविधाओं के बारे में कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई। उत्तर प्रदेश के रायबरेली एम्स की ओर से बताया गया कि वहां अभी हास्पिटल निर्माणधीन है। यह सूचनाएं अक्टूबर 2020 से फरवरी 2021 तक के विभिन्न पत्रों के माध्यम से उपलब्ध कराई गई हैं। 

अगर बेड्स की बात की जाए तो एम्स दिल्ली में 1162,  भुवनेश्वर (उड़ीसा) में 922, जोधपुर (राजस्थान) में 960, पटना (बिहार) में 960, मंगलागिरी (आंध्र प्रदेश) में 50, नागपुर (महाराष्ट्र) में 80, भटिंडा (पंजाब) में 20, तथा बीबीनगर (तेलंगाना) में कुल 50 बेड उपलब्ध हैं। देश के 10 एम्स में कुल आईसीयू बेड्स की संख्या 382 है। इसमें एम्स नई दिल्ली के मेन हास्पिटल में 92, भुवनेश्वर में 63, जोधपुर में 130, पटना में 82, मंगलागिरी में 10 तथा नागपुर में 5 आईसीयू बेड शामिल है।  नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार कुल 309 वेंटिलेटर बेड्स में से 74 भुवनेश्वर, 118 जोधपुर, 102 पटना, 10 मंगलागिरी तथा पांच एम्स नागपुर में दर्शाये गए हैं। 

एम्स नई दिल्ली के लोक सूचना अधिकारी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार मेन हास्पिटल में कुल 1162 बेड और 92 आईसीयू बेड है। एम्स भुवनेश्वर (उड़ीसा) में कुल बेड संख्या 922 है। इसमें आपदा बेड, डे केयर बेड और आपातकालीन बेड शामिल है। 63 आईसीयू बेड तथा 74 वेंटिलेटर बेड हैं। एम्स जोधपुर (राजस्थान) में कुल बेड 960, आईसीयू बेड 130 तथा वेंटिलेटर बेड 118 हैं।

एम्स पटना बिहार में कुल 960 बेड हैं। लेकिन कोविड हास्टिल घोषित होने की वजह से कारण 500 बेड कोविड मरीजों के लिए एक्टिव है। यहां 82 आईसीयू तथा 102 वेन्टिलेटर बेड उपलब्ध है।  एम्स मंगलागिरी (आंध्र प्रदेश) में कुल 50 बेड हैं। इनमें से 10 आईसीयू तथा 10 वेंटिलेटर बेड्स हैं। एम्स नागपुर (महाराष्ट्र) में कुल 80 बेड्स और 10 आपातकालीन बार्ड बेड हैं। यहां आईसीयू बेड्स और वेंटिलेटर बेड्स की संख्या पांच-पांच है। एम्स भटिंडा (पंजाब) में 25 अगस्त-20 से लेबिल-2 कोविड 20 बेड प्रारंभ किए गए हैं। यहां कोई भी आईसीयू या वेंटिलेटर बेड नहीं है। एम्स बीबी नगर (तेलंगाना) में कुल 50 बेड हैं। पर कोई भी आईसीयू या वेंटिलेटर बेड नहीं है। 

एम्स रायपुर  (छत्तीसगढ़) की ओर से अपील के बाद भी बेड्स के बारे में कोई सूचना उपलब्ध ही नहीं कराई गई है। एम्स रायबरेली (उत्तर प्रदेश) ने बेड्स के बारे में यह कहते हुए सूचना नहीं दी है कि हास्पिटल निर्माणधीन है। एम्स गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में किसी भी तरह के किसी बेड की उपलब्धता नहीं है। एम्स कल्याणी (पश्चिमी बंगाल) में तो हास्पिटल सुविधा अभी उपलब्ध नहीं हो सकी है। 

अहम बात यह भी है कि देश के सबसे प्रतिष्ठित माने जाने इन एम्स में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ भी भारी कमी है। विभिन्न एम्स की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार उनके यहां तमाम पद रिक्त पड़े हैं। जब केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले इस एम्स के ये हालात हैं तो ऐसे में यह आसानी से समझा जा सकता है कि कोविड की पहली लहर के बाद भी सरकार ने इन एम्स में सुविधाएं बढ़ाने की दिशा में कोई काम नहीं किया।

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