सवालः क्या वीआईपी के इलाज में सक्षम नहीं है सरकारी व्यवस्था ?
माननीयों को भाते हैं दिल्ली के निजी अस्पताल
जनता का मुंह चिढ़ाती है इस तरह की पोस्ट
देहरादून। एक काबीना मंत्री रेखा आर्य की दिल्ली के एक अस्पताल में रसौली के आपरेशन के बाद की फोटो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा कि अफसरों और सरकार के उत्तराखंड में बेहतरीन इलाज के दावे महज खोखले हैं। आखिरकार क्या कारण है कि वीआईपी अपना इलाज उत्तराखंड में न करवा कर सरकारी खर्च पर दिल्ली के मंहगे अस्पतालों को ही चुनते हैं।
उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं हमेशा में चर्चा में रहती है। सरकारी अफसर और सरकार की ओर से तमाम दावे करके बताया जाता है कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतरीन कर दिया गया है। इसके बाद भी अगर किसी वीआईपी (अफसर और नेता) को झींक भी आती है तो वह सीधे दिल्ली के किसी न किसी फाइव स्टार होटलनुमा अस्पताल का ही रुख करता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अफसरों के दावे भी महज एक जुमला ही हैं।
आज शुक्रवार को काबीना मंत्री रेखा आर्य का एक फोटो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि सुश्री रेखा का दिल्ली के मैक्स अस्पताल में रसौली का सफल आपरेशन हुआ है। यह बात आम आदमी भी जानता है कि यह मामूली सा आपरेशन होता है। फिर ऐसी क्या बात रही कि मंत्री को अपनी ही सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा नहीं रहा और सरकारी खर्च पर एक बेहद मंहगे अस्पताल में जाना पड़ा।
इसकी दो ही वजह हो सकती हैं। पहली ये कि या तो बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं के दावे खोखले हैं या फिर वीआईपी को निजी मंहगे अस्पतालों में सरकारी खजाने को लुटाने की आदत पड़ गई है। मीडिया और सोशल मीडिया में आएं दिन पर्वतीय अंचलों समेत मैदानी इलाकों में मरीजों खासतौर पर महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा के अभाव में तड़पने की तसवीरे सामने आती रहती है। अगर वीआईपी की निजी अस्पतालों और आम लोगों की पहाड़ की पगडंडी पर डोली में ले जाते मरीजों की तसवीरों को एक साथ देखा जाए तो साफ होगा कि ये देवभूमि की आम जनता के साथ कितना बड़ा मजाक है।