एक्सक्लुसिव

दांव पर काबीना मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का सियासी सफर

इस्तीफा, बर्खास्तगी या फिर अभयदान

जर्मनी के दौरे से लौट आए हैं मंत्री प्रेम

सीएम निरस्त कर चुके हैं उनके ट्रांसफर

स्पीकर ने उनकी नियुक्तियां की हैं निरस्त

खास चहेते विस सचिव हो चुके निलंबित

देहरादून। काबीना मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल जर्मनी से खास नसीहत लेकर लौट आए हैं। लेकिन उनका सियासी सफर दांव पर अभी भी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी और स्पीकर ऋतु खंडूड़ी के कई फैसलों से यही लग रहा है। अब देखना होगा कि प्रेमचंद खुद इस्तीफा देते हैं या उनकी बर्खास्तगी होती है या फिर भाजपा हाईकमान से उन्हें अभयदान मिलता है।

हां, मैंने नियुक्तियां की हैं और सचिव को दिए हैं तीन प्रमोशन जैसी दबंगई भरी बात करने वाले पूर्व स्पीकर और मौजूदा काबीना मंत्री का सियासी सफर दांव पर है, ऐसी चर्चा सियासी गलियारों में है। मंत्री कई रोज तक जर्मनी के दौरे पर रहने के बाद आज वापस देहरादून आ गए हैं। इसके साथ ही सियासी लोग उनके भविष्य को लेकर तमाम सवालात खड़े कर रहे हैं।

पहले बात करते हैं प्रेमचंद के विदेश दौरे पर रहते उनके कामों के अंजाम की। मंत्री ने अपने दौरे से ऐन पहले शहरी विकास विभाग में 72 तबादलों को अंजाम दिया। तमाम तबादले विवादित भी थे। इसकी भनक सीएम पुष्कर सिंह धामी को लगी तो उन्होंने तत्काल ही पूरी सूची पर रोक लगा दी।

दूसरा काम उनके द्वारा विस में की गईं मनमानी नियुक्तियों का है। मंत्री ने सीना ठोंक कर कहा था कि ये सब नियमानुसार ही हुआ है। अब स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने सभी की नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है और सीएम धामी ने भी इनका अनुमोदन कर दिया है।
तीसरा मामला तो और भी रोचक है। स्पीकर रहते प्रेमचंद अग्रवाल ने एक उपयुक्त व्यक्ति चंद्रशेखर उपाध्याय की प्रमुख सचिव पर दावेदारी को नजरअंदाज करके एक शोध अधिकारी मुकेश सिंघल को विस के सचिव पद पर आसीन कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने दंबगई से कहा कि हां, किए हैं तीन प्रमोशन। अब स्पीकर ने मुकेश को वित्तीय अनियमितता के आरोप में निलंबित कर दिया है और कोटिया समिति ने उन्हें पदानवत करने की सिफारिश की है। यहां बता दें कि उपाध्याय भाजपा के आराध्य स्व. दीनदयाल उपाध्याय के पोते हैं। कांग्रेस इस वक्त भी प्रेम के इस्तीफे की मांग कर रही है। ऐसे में भाजपा संगठन पर भी खासा दबाव है। अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा संगठन प्रेमचंद से इस्तीफा लेता है या फिर उनकी दंबगई के चलते बर्खास्त करता है या फिर उन्हें अभयदान देता है।

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