एक्सक्लुसिव

मानव-वन्यजीव संघर्ष समाप्त करने को बने पायलट प्रोजेक्ट

सूबे के पांच गावों की करें पहचान आनंद

जंगली जानवरों के हमलों से सतर्कता को बने अलार्मिग सिस्टम

देहरादून। अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्धन ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को समाप्त करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत 5 गांवों को चिंह्ति कर प्रभावी समाधान शुरू करने के निर्देश जलागम विभाग को दिए हैं।

 एसीएस ने मानव-वन्यजीव संघर्षो को नियत्रित करने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ ही सामुदायिक भागीदारी, ग्राम पंचायतों की भूमिका तथा स्थानीय लोगों के सहयोग को भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों और गांवों में माइक्रो प्लान पर गंभीरता से कार्य करने के निर्देश दिए। एसीएस ने प्रोजेक्ट के तहत राजाजी-कार्बेट लैण्डस्कैप के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में मानव-वन्य जीव संघर्ष के पैटर्न का अध्ययन करने तथा क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रति स्थानीय लोगो के रूझान व धारणाओं तथा सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का डॉक्यूमेंटेशन करने के भी निर्देश दिए।

बैठक में मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं के पीछे गांवों से पलायन के कारण कम आबादी घनत्व, एलपीजी सिलेण्डरों की त्वरित आपूर्ति सेवा का अभाव, सड़कों में लाइटों का कार्य न करना, पालतू पशुओं की लम्बी अवधि तक चराई,  गांवों की खाली एवं बंजर जमीनों पर लेन्टाना, बिच्छू घास, काला घास, गाजर घास के उगने से जंगली जानवरों को छुपने की जगह मिलना जैसे कारणों के समाधानों पर भी चर्चा की गई।

भारतीय वन्य जीव संस्थान  देहरादून के वैज्ञानिकों ने बताया कि फसलों को नुकसान पहुंचाने के लिए जंगली सूअर तथा भालू मुख्यतः उत्तरदायी है। मानव-वन्यजीव संघर्ष से प्रभावित जिन गाँवो में सर्वे किया गया उन्होंने गेंहू का उत्पादन बन्द कर दिया है। 50 प्रतिशत गांवों में सभी मौसमों में 60-80 प्रतिशत फसलें वन्यजीवों द्वारा नष्ट की जा रही है।  100 प्रतिशत ग्रामीणों ने माना कि यदि वन्यजीवों द्वारा फसलें नष्ट न की जाती तो कृषि कार्य उनके लिए लाभकारी होता। प्रभावित गांवों के कुल कृषिक्षेत्र का 50 प्रतिशत क्षेत्र खाली पड़ा है।

बैठक में परियोजना निदेशक जलागम नवीन सिंह बरफाल, उपनिदेशक डा. एस के सिंह, डा. डीएस रावत, स्टेट टैक्निकनल कोर्डिनेटर डा. जेसी पाण्डेय, भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक डा. के रमेश, सीनियर टैक्नीकल ऑफिसर डा. मनोज कुमार अग्रवाल, रिसर्च इन्टर्न सुश्री श्रुति, सुश्री तोमाली मण्डल, कंसलटेंट श्री विकास वत्स तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button